tag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post6680446996550532797..comments2024-03-23T15:42:05.574+05:30Comments on अमित शर्मा: अपनी आस्था का मंडन ही किसी प्रकार कल्याणकारी कैसे हो सकता हैAmit Sharmahttp://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-71164156287282058322010-03-31T14:59:34.597+05:302010-03-31T14:59:34.597+05:30अमित जी बहुत अच्छा लिखा है कितु जाकिर नाइक के चेल...अमित जी बहुत अच्छा लिखा है कितु जाकिर नाइक के चेलों का नाम अपने ब्लॉग में मत लिखो,जमाल के स्थान पर एक बुद्धिहीन ब्लोगर लिखे तो ज्यादा अच्छा रहेगा.Naveen Tyagihttps://www.blogger.com/profile/01394196176816740876noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-27486047488105828472010-03-30T20:11:55.574+05:302010-03-30T20:11:55.574+05:30Dear Amit ,
I like all your writings . I want to ...Dear Amit ,<br /><br />I like all your writings . I want to give you only one suggestion , please don't become Jamaal centric . Do not write as reaction because due to this entire post becomes justification of certain points and main massage is lost. In the process the content also loses it's taste.<br /><br />Thanks.विजय प्रकाश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/17982982306078463731noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-69645189006210905752010-03-27T12:24:14.294+05:302010-03-27T12:24:14.294+05:30यह हिंदू समाज की अजीब ही लीला ही है कि यदि आप द्वे...यह हिंदू समाज की अजीब ही लीला ही है कि यदि आप द्वेष भाव से लिखेंगे, झूठा लिखेंगे ,अतार्किक लिखेंगे, मन-गढ़ंत लिखेंगे तभी आपके ब्लॉग पर लोग आयेंगे और पढकर टिप्पणियाँ भी करेंगे अन्यथा सत्य कितना ही लिखो उसको पढ़ने वाले आज कम ही हैं.<br />छल भरा यह व्यभिचारी युग है जहाँ तार्किकता नहीं छल का बोलबाला है, सुरक्षात्मक नहीं आक्रामकता दिखाओगे तो लोग अधिक सुनेंगे.<br /><br />जैसे झूठो का पुलिंदा जमाल टाइप बकवास लोगो को आप यदि तर्क देंगे तो कभी भी उसका पलट कर जवाब नहीं देंगे बल्कि और कोई बकवास करके वार करेंगे या फिर यदि जवाब देंगे तो भी अतार्किक बकवास भरा होगा. ये हिंदू समाज की अपनी धर्म पुस्तकों से अनभिज्ञता और उसीके कारण आवश्यकता से अधिक सहनशीलता और निकम्मी सरकारों की सहायता का लाभ उठाने का प्रयास कर रहे हैं और इससे अधिक कुछ भी नहीं है. और इसमें इनके इस उद्देश्य की पूर्ती में विदेशी पैसा भी लगा है.सौरभ आत्रेयhttps://www.blogger.com/profile/05755493100532160245noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-5051712994120761532010-03-25T12:01:36.227+05:302010-03-25T12:01:36.227+05:30सनातन धर्म अपने ईश्वर को किसी भी रुप मे अपनाने की ...सनातन धर्म अपने ईश्वर को किसी भी रुप मे अपनाने की छूट देता है , मीरा श्री कृष्ण की भक्ति किसी रुप मे करती है , क्षत्रिय शक्ति की अराधना भवानी के रुप मे करता है , वही एक विद्यार्थी शक्ति की अराधना सरस्वती के रुप मे करता है , सनातन धर्म किसी एक किताब के अनुसार नही चलता है , यह एक शैली है जो मनुष्य को किसी भी रुप मे बाध्य नही करती जैसे की अन्य धर्मो मे है कि आप पाँच बार नमाज कीजीये , खतना कीजीये, बाल बढाईये , मूछ मत रखिये आदि-आदि ।, सनातन धर्म प्रमाण और सत्य पर अधारित है ।Dr D.P Ranahttp://jivayurveda.blogspot.comnoreply@blogger.com