tag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post9145279666480623944..comments2024-03-23T15:42:05.574+05:30Comments on अमित शर्मा: वेद साक्षात भगवान् की वाणी है, उनमें ऐसी कोई बात कभी नहीं हो सकती जो मनुष्य को अनर्गल विषयभोग और हिंसा की और जाने के लिए प्रोत्साहित करती हो.Amit Sharmahttp://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comBlogger36125tag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-18526901174100289682012-03-04T16:44:51.138+05:302012-03-04T16:44:51.138+05:30ye AAWAR SHAYAD KUCH JADA HI BOL RAHA HAI............ye AAWAR SHAYAD KUCH JADA HI BOL RAHA HAI............EK BAT KAHA TO SAMAJ ME NAHI AATA KI MAA APNE BETE KO PYAR KARTI HAI VAH Q USE NAFRAT KAREGI KYA SHAYAD TERI MAA NE KAHA HOGA KI , BETE MAI TUJHE BAHOT MAMATA KARTI HU AUR AGLE KSHAN VAH TUJHE NAFRAT BHI KARNE LAGI HO..... KYA TARK HAI ANWAR ISME SAMJHE AAP AAP KAHTE HAI KI VEDO ME GOHATYA HOTI THI AUR AAPNE KUCH SHLOK BHI PRASTUT KIYE PAR KYA AAPKO US SHLOK ME KE AARTH BHI SAMAJ AAYE HAI KUCH BAS BAWAS BAKBAK KARE JA RAHE HO.. AAGAR HINDU DHARM KO SAMJNA HAI TO PAHLE USKA PURA AADHYAN KARE FIR BOLE...AUR EK BAT JIS VEDO ME EK BAR KAHA GAYA HAI KI GOHATYA PAP HAI TO VO FIRSE GOHTYA KA SAMRTHAN KAISE KAREGI .....YAH AASURI VRUTTIYO KI CHAL HAI .....AAP JAISE LOGO SE HI SAMAY SE PURV MAHAPRALAY AAYEGA HAME TO KUCH FARAK NAHI PADEGA Q KI HAM TO SATYA KI RAH PAR CHAL RAHE HAI AUR KISI KA DIL NAHI DUKHATE HAI PAR JARA SOCHIYE AAP JO VEDO KO APMANIT KAR RAHE HO USKA KHAMIYAJA KITNA BURA HOGA....Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-37402739180314031932011-02-22T09:48:29.036+05:302011-02-22T09:48:29.036+05:30.
pooraa prakaran fir se padhwaa diyaa global jii....<br /><br />pooraa prakaran fir se padhwaa diyaa global jii ne. yaaden taazaa ho gayiin.<br /><br />.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-19179235910143113432010-11-17T11:11:30.653+05:302010-11-17T11:11:30.653+05:30..
2-कुत्ता तो छोड़ो मक्खी तक भगा नही सकते हमारी .....<br /><br />2-कुत्ता तो छोड़ो मक्खी तक भगा नही सकते हमारी क्या मदद करेगें। फिर भी महान हैं<br />@ <br />— यदि भगा दे तो क्या उससे उसकी महानता बरकरार रहेगी. <br />— अवसर देना क्या महानता नहीं है?<br />— यदि मेरे टिप्पणी बॉक्स में आप आकर गाली-गलौज कर जाते हैं. तो क्या उसे मैं अपना अपमान मानूँ? <br />— जिसकी जैसी समझ, जितनी समझ, वह अपनी क्षमताओं में ही करता है. <br /><br />..प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-9787564109058654882010-11-17T11:10:36.334+05:302010-11-17T11:10:36.334+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-643977756877941662010-11-17T11:09:47.453+05:302010-11-17T11:09:47.453+05:30..
1 - ऐसे देवी देवता है कि मंदिर मे कुत्ता टांग उ.....<br />1 - ऐसे देवी देवता है कि मंदिर मे कुत्ता टांग उठा कर इनके उपर मूत के चला जाता है मगर ये कुत्ते को भगा नही सकते।<br />कहते है कि बड़े प्रतापी हैं। बहुत शक्ति है इनमें फिर भी महान हैं.<br />@ आपको स्थूल उदाहरणों से समझाता हूँ. <br />— ईश के लिये सभी जीव-जंतु एक समान होते हैं. कुत्ता मूते या मक्खी बैठे उसके लिये वे पुत्रवत हैं. <br />— बच्चा गोद में माँ के सभी कुछ कर देता है. क्या माँ उसका अनिष्ट कर देती है. <br />..प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-33867031052205913862010-11-17T11:09:05.972+05:302010-11-17T11:09:05.972+05:30..
काम क्रोध .... तुलसी एक समान।।
@ हे अमूर्ख विद्.....<br />काम क्रोध .... तुलसी एक समान।।<br />@ हे अमूर्ख विद्वान् ! <br />पंडित मूरख के एक समान !<br />जब मन में घर किये रहे <br />काम क्रोध मद मान. <br />_______________<br /><br /># ये पंक्ति भगवानो के उपर लागू नही होती क्योकि उन्हे छूट थी<br />इन्हे सारे कुकर्म माफ थे मानव जाति इनके भोग विलास का साधन थें।<br />@ आपके भगवान् शायद वे हैं जो कवि-कलाकारों ने तय किये. जिनका चरित्र गोपी-वस्त्र हरण, एकाधिक पत्नियाँ रखना, परस्पर द्वेष रखना, झगड़े करना रहा. लेकिन इन गपोड़ों के रचयिता स्वयं विलासी भक्त जन रहे. <br />भक्ति के बहाने अब तक बहुत कुछ हो चुका है. इस पर विस्तार से बाद में बात करेंगे.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-69978273425011092042010-11-17T10:55:35.798+05:302010-11-17T10:55:35.798+05:30@ Anonymous
बेनामी वंश की उपज कुकर्मीचंद!
मेरा गाँ...@ Anonymous<br />बेनामी वंश की उपज कुकर्मीचंद!<br />मेरा गाँव अजमेर रोड पर ही है, हर साल कम से कम ५०० जियारातियों के एक्सीडेंट में मरने की ख़बरें तो तुम्हे फोटो सहित भेज दूंगा अपना मेल आई डी दे दीज्यो<br /><br />अर वोह ज्यो हज्ज में हडकंप मचता है और हजारों दब कुचलकर मरे जाते हैं भाप्ड़े उसका क्या कारण है ज़रा जे भी बतला दीज्योAmit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-87792485494497272272010-11-17T10:49:34.192+05:302010-11-17T10:49:34.192+05:30@ Anonymous
एक बार हम चार पांच दोस्त गाँव के पास ब...@ Anonymous<br />एक बार हम चार पांच दोस्त गाँव के पास बीड में दिशा-मैदान के लिए गए. वहाँ एक कलंदर जो की अजमेर जियारत के लिए जा रहे थे; नमाज -ए-अस्र का समय हो जाने के कारण वहीँ नमाज अता करने लगे; हम भी अपना काम भूलकर श्रद्धा से उनकी अर्चना देखने बैठ गए. दूसरी रकत में सजदे के लिए ज्यों ही झुके एक सूअर कहीं से दौड़ता हुआ आया कलंदर जी के पिछवाड़े की तरफ से जोरदार तरीके से भिड गया, कलंदर जी चारों खाने चित्त !!!!!!!!!!!!! अब हम भी सोचने लगे की यार नमाज पढ़ते समय तो बन्दा-खुदा की बारगाह में होता है फिर यह सूअर की तरह बाबाजी को चित्त कर गया, अल्लाहजी ने सूअर को रोका क्यों नहीं ????????????? अब बेटा बेनामी वंश की उपज कुकर्मीचंद इस बात का जवाब दे अल्लाह मियाँ ने उन कलंदर जी को क्यों नहीं बचाया क्या नमाज झूंठी होती है ?????????????Amit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-88565729505104531442010-11-17T10:29:59.758+05:302010-11-17T10:29:59.758+05:30काम क्रोध मध लोभ की जब लग मन मे खान तब लग पंडित मू...काम क्रोध मध लोभ की जब लग मन मे खान तब लग पंडित मूखों<br /><br />तुलसी एक समान।।<br /><br />ये पंक्ति भगवानो के उपर लागू नही होती क्योकि उन्हे छूट थी<br />इन्हे सारे कुकर्म माफ थे मानव जाति इनके भोग विलास का साधन थें।<br /><br />ये शूद्रों के लिये है।<br /><br />मगर मेरे विचार:- पाथर पूजें हरि मिलें तो मै पूजौं पहाड़।।<br /><br />1 - ऐसे देवी देवता है कि मंदिर मे कुत्ता टांग उठा कर इनके उपर मूत के चला जाता है मगर ये कुत्ते को भगा नही सकते।<br />कहते है कि बड़े प्रतापी हैं। बहुत शक्ति है इनमें फिर भी महान हैं<br /><br />2-कुत्ता तो छोड़ो मक्खी तक भगा नही सकते हमारी क्या मदद करेगें। फिर भी महान हैं<br /><br />3-प्रसाद खाके सेकड़ो बीमार हो जाते है फिर भी महान हैं<br /><br />4-प्रसाद खाने से कोई बीमार ठीक नही होता फिर भी महान हैं<br /><br />5- हर साल मंदिरों मे भगदड़ हजारों मर जाते हैं। फिर भी महान हैं<br /><br />6- हर साल हजारों दर्शन करने जाते समय या दर्शन करके लौटते समय एक्सीडेंन्ट मे मर जाते है। फिर भी महान हैं<br /><br />7- अस्थि विसर्जन करने जाते समय कितने दुर्घटनाओं मे मर जाते है फिर भी महान हैं।<br /><br /><br />मूर्खों कि कमी नही है बड़े बड़े ज्ञानीयों की बुद्धी भ्रष्ट है क्या करेंAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-7970076641035313862010-11-17T10:26:40.747+05:302010-11-17T10:26:40.747+05:30चीख भी सुन लो सुनो पुकार भी,
श्राप भी सुनो और हाहा...चीख भी सुन लो सुनो पुकार भी,<br />श्राप भी सुनो और हाहाकार भी।<br />ए आदम की औलाद तू क्या आदमी,<br />औलादों की तेरे भी थी क्या कमी।<br />जिन की जान के बदले आई हमारी जानपर,<br />जिएगी तेरी औलादे भी बनकर जानवर॥सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-86742042500880462522010-11-17T07:36:28.629+05:302010-11-17T07:36:28.629+05:30@प्यारे वशिष्ठ जी !
@ शेखर सुमन जी ! स्वामी करपात्...@प्यारे वशिष्ठ जी !<br />@ शेखर सुमन जी ! स्वामी करपात्री ने वेदार्थ पारिजात भाग 2 पृष्ठ 1977 पर लिखते हैं -<br />यज्ञ में किया जाने वाला पशुवध भी पशुओं का स्वर्गप्रापक होने से तथा पशुयोनि निवारण पूर्वक दिव्यशरीर प्राप्ति कराने में कारण होने से पशु का उपकारक ही होता है । वह यज्ञीय पशु अपकृष्ट योनि से विमुक्त होकर देवयोनि में उत्पन्न होता है ।DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-57228523869997190972010-11-17T00:55:32.015+05:302010-11-17T00:55:32.015+05:30..
भाइयो ईद है आज़, मुझे मत रोकना मुबारक बाद देने.....<br /><br />भाइयो ईद है आज़, मुझे मत रोकना मुबारक बाद देने से. <br /><br />हमारी गली से कुछ दूर <br />हर साल की तरह <br />इस बार भी <br />चीख-पुकार होगी <br />जीव-तंतुओं द्वारा -<br />"ईद मुबारक ईद मुबारक" की <br />इस चीख का अर्थ होगा "जाएँ तो जाएँ कहाँ" <br />यह अर्थ की चौथी शब्द शक्ति है : तात्पर्य शब्दशक्ति <br />इस शक्ति के द्वारा हम वास्तविक अर्थ तक पहुँचते हैं. मुबारकबाद में भी 'बचाओ बचाओ का स्वर' सुनते हैं. <br /><br /><br />ईद <br />____<br /><br />भाइयो ! <br />मिलकर मनाओ ईद<br />दिल में ना रह जाए <br />कसक औ' फिकर ।<br /><br />ग़र ग़रीबी में <br />दबा हो कोई बन्दा<br />बाँट फ़ितरा दिखा <br />उसको भी जिगर । <br /><br />पर ना जिंदा <br />जनावर को मार <br />मुर्दा खा ना बन्दे <br />कर परिन्दे - बेफ़िकर ।<br /><br />दर और दरिया <br />मान सबका <br />मौहब्बत का — <br />सब बराबर, सब बराबर । <br /><br />ज़र और जोरू <br />है सलामत <br />ख़ुद की व औरों की <br />रख पाक अपनी भी नज़र । <br /><br />सरहद हिंद पर <br />मरने का ज़ज्बा पाल <br />कर दे दुश्मनों को <br />नेस्तनाबुद ओ' सिफर ।<br /><br />..प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-19129932243963193002010-11-16T22:57:32.414+05:302010-11-16T22:57:32.414+05:305- हर साल मंदिरों मे भगदड़ हजारों मर जाते हैं। फिर ...5- हर साल मंदिरों मे भगदड़ हजारों मर जाते हैं। फिर भी महान हैं<br /><br />6- हर साल हजारों दर्शन करने जाते समय या दर्शन करके लौटते समय एक्सीडेंन्ट मे मर जाते है। फिर भी महान हैं<br /> <br />ha ha ha... kya mast joke maara hai...<br />aur kuch log yahan se hawayi yatra karke doosre desh jaate hain... wahan jaakar ek jagah patthar fekakar shaitaan ko maarte hain.... usme na jaaane kitne bewkoof maare jaate hain...<br />ha ha ha...<br />bura jo dekhan main chala bura n milya koi<br />jo man khoja aapna to mujhse bura na koi....<br />ha ha ha.....Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-68354111937397609552010-11-16T22:54:13.272+05:302010-11-16T22:54:13.272+05:30to mr anonymous
पाथर जोरि के मस्जिद लई बनाय
ता च...to mr anonymous <br />पाथर जोरि के मस्जिद लई बनाय <br />ता चढि मुल्ला बाग दे क्या बहरा हुआ खुदाय .....Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-70450308870065552402010-11-16T21:13:23.725+05:302010-11-16T21:13:23.725+05:30अत्यंत सार्थक चर्चा-परिचर्चा|वेद-ज्ञान की सच्ची उप...अत्यंत सार्थक चर्चा-परिचर्चा|वेद-ज्ञान की सच्ची उपादेयता ही खोजियों एवं जिज्ञासुओं का विवेक जाग्रत करने में है|रचना काल से हजारों वर्षों में वेदों ने जितने लोगों को संस्कारी बनाया है उसकी तुलना में बहुत कम लोग(लगभग नगण्य)सायण का भाष्य समझ कर कुमार्गी हुए हैं|हर भाष्यकार एवं टिप्पणीकार की अपनी सीमा होती है|भारतीय मेधा एवं अभिरुचि अत्यंत परिष्कृत है|'सार-सार को गहि लिया थोथा दिया उडाय|'<br />- अरुण मिश्र.ARUN MISHRAhttps://www.blogger.com/profile/08311692074642363964noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-61670341218657647512010-11-16T20:50:57.558+05:302010-11-16T20:50:57.558+05:30आर्यों की सभ्यता को वैदिक सभ्यता कहते हैं। पहले दृ...आर्यों की सभ्यता को वैदिक सभ्यता कहते हैं। पहले दृष्टिकोण के अनुसार लगभग १७०० ईसा पूर्व में आर्य अफ़्ग़ानिस्तान, कश्मीर, पंजाब और हरियाणा में बस गये। तभी से वो लोग (उनके विद्वान ऋषि) अपने देवताओं को प्रसन्न करने के लिये वैदिक संस्कृत में मन्त्र रचने लगे। पहले चार वेद रचे गये, जिनमें ऋग्वेद प्रथम था। उसके बाद उपनिषद जैसे ग्रन्थ आये। हिन्दू मान्यता के अनुसार वेद, उपनिषद आदि ग्रन्थ अनादि, नित्य हैं, ईश्वर की कृपा से अलग-अलग मन्त्रद्रष्टा ऋषियों को अलग-अलग ग्रन्थों का ज्ञान प्राप्त हुआ जिन्होंने फिर उन्हें लिपिबद्ध किया। बौद्ध और धर्मों के अलग हो जाने के बाद वैदिक धर्म मे काफ़ी परिवर्तन आया। नये देवता और नये दर्शन उभरे। इस तरह आधुनिक हिन्दू धर्म का जन्म हुआ।<br /><br />दूसरे दृष्टिकोण के अनुसार हिन्दू धर्म का मूल कदाचित सिन्धु सरस्वती परम्परा (जिसका स्रोत मेहरगढ़ की ६५०० ईपू संस्कृति में मिलता है) से भी पहले की भारतीय परम्परा में है।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-44776363905253063522010-11-16T18:47:43.435+05:302010-11-16T18:47:43.435+05:30काम क्रोध मध लोभ की जब लग मन मे खान तब लग पंडित मू...काम क्रोध मध लोभ की जब लग मन मे खान तब लग पंडित मूखों <br /><br />तुलसी एक समान।। <br /><br />ये पंक्ति भगवानो के उपर लागू नही होती क्योकि उन्हे छूट थी<br />इन्हे सारे कुकर्म माफ थे मानव जाति इनके भोग विलास का साधन थें।<br /><br /> ये शूद्रों के लिये है। <br /><br />मगर मेरे विचार:- पाथर पूजें हरि मिलें तो मै पूजौं पहाड़।।<br /><br />1 - ऐसे देवी देवता है कि मंदिर मे कुत्ता टांग उठा कर इनके उपर मूत के चला जाता है मगर ये कुत्ते को भगा नही सकते। <br />कहते है कि बड़े प्रतापी हैं। बहुत शक्ति है इनमें फिर भी महान हैं <br /><br />2-कुत्ता तो छोड़ो मक्खी तक भगा नही सकते हमारी क्या मदद करेगें। फिर भी महान हैं <br /><br />3-प्रसाद खाके सेकड़ो बीमार हो जाते है फिर भी महान हैं <br /><br />4-प्रसाद खाने से कोई बीमार ठीक नही होता फिर भी महान हैं<br /><br />5- हर साल मंदिरों मे भगदड़ हजारों मर जाते हैं। फिर भी महान हैं <br /><br />6- हर साल हजारों दर्शन करने जाते समय या दर्शन करके लौटते समय एक्सीडेंन्ट मे मर जाते है। फिर भी महान हैं<br /><br />7- अस्थि विसर्जन करने जाते समय कितने दुर्घटनाओं मे मर जाते है फिर भी महान हैं।<br /><br /><br />मूर्खों कि कमी नही है बड़े बड़े ज्ञानीयों की बुद्धी भ्रष्ट है क्या करेंAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-26826801823464284072010-11-16T17:17:19.213+05:302010-11-16T17:17:19.213+05:30पंडितजी अब तो दो घडी चैन से नहीं रहने देते कई कुकर...पंडितजी अब तो दो घडी चैन से नहीं रहने देते कई कुकर्मीजन(मांस भक्षी)............... मेहनत से अध्यन करके किसी विषय पर कुछ इस लिए लिखते है हमारे जैसे ब्लोगर की आप जैसे गुरुजनों से अधिक विस्तार से और भी जानने को मिलेगा, पर नहीं !!!!!!! इनके तो खुजली पाउडर की बरसात होती रहती है जिसे खुजाते-खुजाते यहाँ वहाँ रगड़े देते रहते है :) और सारी मेहनत का गुड गोबर करदेते है ................अरे भाई हम आपके पास जोर आजमाईश के लिए नहीं आ रहे की आप सन्मार्गी बनजाओ,,, फिर आप हमें कुमार्ग का उपदेश देने की हट क्यों पाल रखे होAmit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-26291283203713544472010-11-16T17:04:42.768+05:302010-11-16T17:04:42.768+05:30जमाल साहेभ क्या रट्टा लगाए हुए हैं आप किसी भी मनुष...जमाल साहेभ क्या रट्टा लगाए हुए हैं आप किसी भी मनुष्य का ज्ञान हमेशा पूर्ण नहीं होता, और ना हिन्दू किसी एक का आँख मीच कर अनुगमन करने वाली भेड़ है. (आप जैसे मेरे कुटुम्बियों के समान)<br />विवेकानंदजी क्या कहा, क्या पाया इसका उन्होंने दुराग्रह नहीं किया की मैंने जो जाना समझा है वही परीपूर्ण अंतिम सत्य है ..................और जो इसे नहीं मानेगा वह मार डाला जाएगा.<br />तो जब उन्होंने इस बात का उद्घोष ही नहीं किया की मेरा ज्ञान ही परीपूर्ण,अंतिम और सत्य है ............मैं जो कह रहा हूँ उसके इनकारी के लिए सिर्फ और सिर्फ मौत है ...................जब उनका ऐसा आग्रह नहीं था तो आप क्यों विवेकानंदजी की अवमानना को लेकर दुःख दुबले हो रहे है.<br />ऐसा ही सायण भाष्य और BHU के लिए समझे .<br />बंधुजी मेरा घर मेरे पुरखों के प्रताप से सुरक्षित है....................आप अपने पाप के ताप से अपने घर को बचाने का उपाय सोचिये .Amit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-78438807018849126482010-11-16T17:00:34.992+05:302010-11-16T17:00:34.992+05:30शक्यो वारयितुं जलेन हुतभुक्छत्रेण सूर्यातपो नागेन्...शक्यो वारयितुं जलेन हुतभुक्छत्रेण सूर्यातपो नागेन्द्रो निशिताङ्कुशेन समदो दण्डेन गोगर्दभौ।<br />व्याधिर्भेषजसङ्ग्रहैश्च विविधैर्मन्त्रप्रयोगैर्विषं सर्वस्यौषधमस्ति शास्त्रविहितं मूर्खस्य नास्त्यौषधम्।।<br />जल से अग्नि बुझाया जा सकता है, सूर्य के ताप को छाते से रोका जा सकता है, मतवाले हाथी को तीखे अंकुश से वश में किया जा सकता है, पशुओं को दण्ड से वश में किया जा सकता है, औषधियों से रोगों को भी शान्त किया जा सकता है, विष को भी अनेक मन्त्रों के प्रयोगों से आप उतार सकते हैं - इस तरह सब उपद्रवों की औषधि शास्त्र में है,परन्तु मूर्खों, दुराग्रहियों की किसी शास्त्र में कोई औषधि नहीं है....<br />मूर्खता का इससे बडकर प्रमाण भला क्या होगा कि आलेख की मूल भावना एवं विषय् से इतर ये स्वनामधन्य लोग अपनी ही हाँकने में लगे हैं.कुछ ओर न मिला तो अब शंकराचार्य जी और विवेकानन्द जी की रामकहानी ले बैठे. इसलिए लम्पटों को ज्ञान देने में अपनी उर्जा नष्ट करने की अपेक्षा आप इस 'ज्ञान यज्ञ' में आहूति देने में समय का सदुपयोग करें. उस समाज के कल्याण के लिए, जो कि ईश्वरप्रदत बुद्धि का प्रयोग कर कुछ जानना,समझना, उसे ग्रहण करना चाहता हैं.<br />अब तो हमारी ये धारणा पुख्ता होने लगी है कि इन्सान की शिक्षा का उसकी बुद्धि से कैसा भी कोई सरोकार नहीं है. पढ लिखकर भी कुछ लोग जीवन भर मूर्ख के मूर्ख ही बने रहते हैं........Pt. D.K. Sharma "Vatsa"https://www.blogger.com/profile/05459197901771493896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-15305094650831612582010-11-16T12:30:20.408+05:302010-11-16T12:30:20.408+05:30शंकराचार्य जी और विवेकानंद जी के ज्ञान को नकार कर ...<b> शंकराचार्य जी और विवेकानंद जी के ज्ञान को नकार कर अपना घर कैसे बचा पाएँगे आप ?</b><br /> @ अमित जी, कृप्या मूल प्रश्नों के जवाब स्पष्ट रूप से दें कि <br />1- क्या अपने विवेकानंद जी की जानकारी भी ग़लत है ?<br />या वे भी सैकड़ों यज्ञ करने वाले आर्य राजा वसु की तरह असुरोँ के प्रभाव में आ गए थे ?<br />2- सायण से ज्यादा वेदों के यज्ञपरक अर्थ की समझ रखने वाला कोई भी नहीं है . आज भी सभी शंकराचार्य उनके भाष्य को मानते हैं । <br /><b>क्या सायण और विवेकानंद की गिनती कुक्कुरों , पशुओं और असुरों में करने की धृष्टता क्षम्य है ?</b><br />3- Banaras Hindu University में भी यही पढ़ाया जाता है ।<br />क्या BHU में भी ग़लत पढ़ाया जा रहा है ? <br />4- शंकराचार्य जी और विवेकानंद जी के ज्ञान को नकार कर अपना घर कैसे बचा पाएँगे आप ?DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-32092720405036508932010-11-16T11:47:59.635+05:302010-11-16T11:47:59.635+05:30रावण का विरोध यहां के ब्राम्हण क्यो करते थे क्योकि...रावण का विरोध यहां के ब्राम्हण क्यो करते थे क्योकि रावण तामसी <br /><br />प्रवत्ती का नही था और यहां के ब्राम्हण तामसी प्रवत्ती के थे वो <br /><br />भारत के ब्राम्हणो की बैल की बली और उसका भक्षण तामसी प्रवत्ती <br /><br />से घ्रणा करता था इसी लिये यहा के ब्राम्हणो ने उसे राम चन्द्र से <br /><br />मरवा दिया। हकीकत है येAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-45731408125623761122010-11-16T11:40:56.395+05:302010-11-16T11:40:56.395+05:30जिसने भी धर्म ग्रथं लिखा वो तो चला गया और उसमे ऐसा...जिसने भी धर्म ग्रथं लिखा वो तो चला गया और उसमे ऐसा लिखा <br /><br />कि अच्छे अच्छे ज्ञान वान लोग उलझ कर उसे अब सुलझाने मे लगे <br /><br />है। अपने दिमाग से ज्ञानी लोग शब्दो का अर्थ बदल कर पेश कर रहे <br /><br />है। अरे जिसने लिखा वो नही सुलझा पाया तो आप लोग क्या <br /><br />सुलझाओगें। वो तो कोरी बकवास कर के उलझा गया अब उलझे रहो।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-70487703630815126082010-11-16T11:06:17.471+05:302010-11-16T11:06:17.471+05:30@ मौसमजी, अभिषेकजी आभार .
@ बेनामी वंश उत्पन्न कु...@ मौसमजी, अभिषेकजी आभार .<br /><br />@ बेनामी वंश उत्पन्न कुकर्मीजी अपना सड़ा राग अपने प्रेमियों के ब्लॉग पर ही बजाया कीजिये. वर्णसंकर की विशेष पहचान होती है की वह हमेशा उलटे सीधे काम ही करता है, यहाँ बात वेदों की हो रही है और तुम कहाँ कहाँ से उलजुलूल प्रकाशनों के उद्धरण दे रहे हो.Amit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-61975858511873565432010-11-16T10:59:19.298+05:302010-11-16T10:59:19.298+05:30@ सुज्ञजी, सक्सेना जी यह बात उन तक पहुंचे ना पहुंच...@ सुज्ञजी, सक्सेना जी यह बात उन तक पहुंचे ना पहुंचे पर अपनी कोशिश तो अब घर बचाने की होनी चाहिये की अपनी जानकारी में ही अपना कोई इस नरक पंथ पर ना चल पड़े ........<br /><br />@ गौरव भाई पोस्ट के संग्रहण से काम नहीं चलेगा ................ आप इस ध्येय का संगी बनना होगा आपकी खोजी प्रवृत्ति अगर वेद भगवान् पर अनर्गल आक्षेप लगाने वालों के मुंह तोड़ने में काम आ सके तो अपने आप को कृतज्ञ मानूंगाAmit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.com