tag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post5324297721064336718..comments2024-03-23T15:42:05.574+05:30Comments on अमित शर्मा: हम अपने धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं को भी अपने मन कि सुविधा अनुसार छांटने लगे है - अमित शर्माAmit Sharmahttp://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comBlogger19125tag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-90100881377077465562010-04-23T17:12:20.141+05:302010-04-23T17:12:20.141+05:30@ राणाजी यही तो रोना है आज, अपने आप-पास ही कई बुजु...@ राणाजी यही तो रोना है आज, अपने आप-पास ही कई बुजुर्गों कि बेकद्री देखते हुए. अजीब लगता है<br /><br />@ कुंवरजी इसी लिए तो आँख मूंद कर नहीं बैठ जाया सकता न कि अमुक देश हित कि बात ज्यादा कहते है ,धर्मग्रंथो के लिए थोडा कुछ कह दिया तो कोई बात नहीं . या वे धर्मग्रंथो के बारे में कुछ बकवास कह रहे है तो उनकी देश हित वाली बातों का कोई मतलब ही नहीं है .<br /><br />@ पंकज भाई सही कहा आपने "सीख हम बीते युगों से नए युग का करें स्वागत !!!!!!!!!!<br /><br />@ संगीता पुरीजी ,भारतीय नागरिक जी, ऋतुपर्ण जी धन्यवाद्Amit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-13798752697361982912010-04-23T16:52:25.675+05:302010-04-23T16:52:25.675+05:30यार कुछ तो बात है तुममेयार कुछ तो बात है तुममेRituparnnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-73764011945297966452010-04-23T14:32:20.227+05:302010-04-23T14:32:20.227+05:30बहुत अच्छी बात कही. लिखते रहो..बहुत अच्छी बात कही. लिखते रहो..भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-86045188462510552122010-04-23T11:53:44.547+05:302010-04-23T11:53:44.547+05:30इस पोस्ट में शून्य पसंद के बदले 2 नापसंद पाने की...इस पोस्ट में शून्य पसंद के बदले 2 नापसंद पाने की कोई वजह नहीं समझ में आ रही है !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-26879713102994025242010-04-23T11:49:33.511+05:302010-04-23T11:49:33.511+05:30सीख हम बीते युगों से नए युग का करें स्वागत !!!!!!!...सीख हम बीते युगों से नए युग का करें स्वागत !!!!!!!!!!<br /><br />बिना वर्णाक्षर पढ़े-जाने किताबे नहीं पढ़ी जाती !! अब यह बात कौन समझाये इन hi ranking वालों को !!<br /><br />बड़े भाईसाहब अमित जी <br />जय श्री राधे-राधेHindiEra.inhttps://www.blogger.com/profile/16166137654837076626noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-68511335962379497432010-04-23T11:21:50.126+05:302010-04-23T11:21:50.126+05:30यो "टाब्बर" बहकने आळ्या कोन्या!
अमित भा...यो "टाब्बर" बहकने आळ्या कोन्या!<br /><br />अमित भाई क्या आप एक सामजिक आदमी और धार्मिक आदमी में फर्क महसूस करते है!मतलब धर्म और समाज कितने जुड़ा है एक-दुसरे से!और अज्ञानी कहाँ नहीं हो सकते!किन्ही विषयों में कोई अज्ञानी है,किन्ही में कोई! <br /><br />मै यदि कुछ बोल रहा हूँ तो वो मेरी जिम्मेवारी है कि मै सिर्फ वो ही बोलू जो मेरी जानकारी,अनुभव और बुद्धि से मेल खा रहा हो!इसमें यदि मेरी बुद्धि किसी और के हितो के बारे में भी उतनी ही सजग है जितनी कि मेरे खुद के हितो के बारे में तो शायद मै जो बोलूँगा वो सभी को अच्छा भी लगेगा और सभी के लिए हितकर भी होगा,अब चाहे मेरी जानाकरी और अनुभव मुझे कुछ भी कह रहे हो!<br /><br />हर कोई ये तालमेल सदैव बना के रखे,क्या ये सभी के लिए सम्भव है!कभी-कभी बुद्धि भी विचलित हो जाती है,कभी ज्ञान और कभी अनुभव के चक्करों में पड़ जाती है!कई बार हम वो नहीं बोल पाते जो हम वास्तव में कहना चाहते है,बल्की वो ही बोल जाते है जो दूसरा हम से कहलवाना चाह रहा है!<br /><br />अब इतनी जिम्मेवारी तो हमारी बनती ही है कि हम सजग रहे!<br /><br />आपकी शैली खतरनाक है!बनाए रखे....<br /><br /><br /><br />कुंवर जी,kunwarji'shttps://www.blogger.com/profile/03572872489845150206noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-39656479468401199122010-04-23T10:51:04.294+05:302010-04-23T10:51:04.294+05:30इतनी गहन और चेतावनी भरी बात को भी इतने सहज ढंग से ...इतनी गहन और चेतावनी भरी बात को भी इतने सहज ढंग से कह जाना कोई आपसे सीखे.<br />बहुत बढ़िया बात कही हैं आपने.<br />मेरी एक पोस्ट अगर आपने पढ़ी हो तो उसमे मैंने भी ये ही कहा हैं कि बुजुर्गो का सम्मान करे क्योंकि एक दिन आपको भी बुजुर्ग होना हैं.<br />मैंने भी आपकी तरह ही काफी लोगो को ऐसे देखा हैं कि बाहर वो बहुत सम्मानीय होते हैं मगर घर में उनको उनके बच्चे तक नही पूछते.<br />आपकी इस पोस्ट को मै 80/100 देता हूँ <br />क्योंकि मै मानता हूँ कि आप मेंअभी और भी काफ़ी ज्ञान हैं जो कि आपका 100/100 होगा <br />आपके उस ज्ञान के इन्तेजार में .<br />संजीव राणा <br />हिन्दुस्तानीSANJEEV RANAhttps://www.blogger.com/profile/02649434617771451883noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-57523362902899372052010-04-23T10:09:42.830+05:302010-04-23T10:09:42.830+05:30@ पुष्पेन्द्र जी, प्रतुलजी -- कहीं ये प्रशंशा वारू...@ पुष्पेन्द्र जी, प्रतुलजी -- कहीं ये प्रशंशा वारूणी मुझ टाबर को बहका ना देAmit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-26880337506288125332010-04-23T09:41:17.463+05:302010-04-23T09:41:17.463+05:30@ विचारीजी, पंडितजी और दाता हुकम शेखावत जी आपने ब...@ विचारीजी, पंडितजी और दाता हुकम शेखावत जी आपने बिलकुल ठीक कहा है, पता नहीं क्यों हम लोग अपनी कमियां छुपाने के लिए परम्पराओं को दोष देते है. परम्पराओं और पुरातन ग्रंथों को अप्रासंगिक बताने वाले कितने सज्जन है जिन्होंने कभी इन ग्रंथों को हाथ में उठा कर देखा भी हो. कमी हम में है कि हम पुरातन को निभाते हुए आज से कदमताल नहीं कर पा रहे है तो चलो पुराने को बकवास बताओ और पिंड-छुडाओ. अरे कभी शेरनी का दूध भी सोने के अलावा कि दूसरी धातु के बर्तन में ठहर सकता है. जो हमारे पुरखो ने अपने अनुभव से जो ज्ञान संजोया था, उसको हमारी क्या औकात कि बिना उसको उन्ही बुजुर्गों से समझे पचा पायें .Amit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-49884808923698111602010-04-23T09:18:08.960+05:302010-04-23T09:18:08.960+05:30जमाल साहब मैने आपसे पहले भी कहा था कि जहाँ तक आप ...जमाल साहब मैने आपसे पहले भी कहा था कि जहाँ तक आप प्रेम फैलाते हुए कदम बढाएंगे वहीँ मुझे भी हम कदम पायेंगे.<br />लेकिन यह ध्यान रखियेगा कि प्रेम कि दावत देते समय यह आग्रह बिलकुल ना हो कि ......... आप समझ रहे है मेरी बात को !Amit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-44128775480230534512010-04-23T09:06:55.693+05:302010-04-23T09:06:55.693+05:30@ आदरणीय संगीता पुरी जी ---- मैंने देखा है, कि कैस...@ आदरणीय संगीता पुरी जी ---- मैंने देखा है, कि कैसे मेरे एक जानने वाले बुजुर्ग जिनको समाज नमन करता था, और गाँव कि हर छोटी-मोटी पंचायती उनके मशविरे बिना पूरी नहीं होती थी आज, किस तरह अपने बेटों के झगड़े नहीं निपटा पा रहे है क्योंकि बेटे उन्हें कुछ समझते ही नहीं हैAmit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-71197894171281374922010-04-23T07:04:17.757+05:302010-04-23T07:04:17.757+05:30एक छोटी बात —
मेरी गली में काफी कूढा इकट्ठा हो ग...एक छोटी बात — <br /><br />मेरी गली में काफी कूढा इकट्ठा हो गया है. जगह-जगह कूढा-कचरा खाने वाली गायों का गोबर, कुत्तों का मसाला(..), फ्लेट्स कल्चर का ऊपर से फैका गया कूढा. आप मुझे बताइये कि क्या मैं भी बच कर निकलूँ. मेरे गुरुजन "उड़न तश्तरी" जी कहते हैं कि उधर जाना छोड़ दो, गोबर को हटाना छोड़ दो. गंदगी करने वालों को समझाना छोड़ दो. <br /><br />आपके ब्लॉग में तो मैंने उन लोगों को नोर्मल टिप्पणी करते पाया जिनको कभी आपने तार्किक पटखनी दी थी. जब तक आप समझायेंगे नहीं तब तक कोई कैसे आपकी बात मानेगा. बताइये.PRATULhttps://www.blogger.com/profile/03991585584809307469noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-86017703686823014682010-04-23T06:56:26.083+05:302010-04-23T06:56:26.083+05:30बात आपकी सही है |
वेदों के बारे में लिखने वालों से...बात आपकी सही है |<br />वेदों के बारे में लिखने वालों से पहले यह तो पूछा जाय कि क्या उन्होंने कभी वेदों के दर्शन तो किये है क्या ? किसी विकृत मानसिकता वाले लेखक द्वारा लिखी गई पुस्तक को ये लोग अंतिम मानकर लिखे जा रहे है मेरा उनसे एक ही सवाल है कि क्या वे इसी तरह सलमान रुश्दी की किताब को भी क्या सही मान लेंगे ? यदि नहीं नहीं , तो उन्होंने यह कैसे सोच लिया कि उन मानसिक विकृत और वामपंथी लेखकों द्वारा लिखी गई किसी बकवास पुस्तक को हिन्दू धर्म स्वीकार कर लेगा ?Gyan Darpanhttps://www.blogger.com/profile/01835516927366814316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-10884169796689625102010-04-23T00:17:55.168+05:302010-04-23T00:17:55.168+05:30बहुत से लोग हैं जो अपनी बद्धमूल धारणाओं के मकडजाल ...बहुत से लोग हैं जो अपनी बद्धमूल धारणाओं के मकडजाल में इतनी मजबूती से जकडे रहते हैं कि सच्चाई को जानना ही नहीं चाहते। हँसी आती है ये सब देखकर कि जिन लोगों नें अपनी सारी जिन्दगी में कभी किसी पुराण,वेद,उपनिषद इत्यादि किसी ग्रन्थ को हाथ से छूकर भी नहीं देखा होगा(पढना और पढ के समझना तो बहुत दूर की बात है), वही लोग इन में लिखी बातों को बकवास करार दे कर अपने आपको अति आधुनिक सिद्ध करने में जुटे हुए हैं। अपनी सभ्यता,संस्कृ्ति,परम्पराएं,मान्यताएं,धर्मशास्त्र और समूची मानवता को अपने ज्ञान के प्रकाश से आलोकित कर देने वाले अपने पूर्वजों की बुद्धि पर प्रश्नचिन्ह खडे करने वाले ये लोग शायद इस भ्रम मे जी रहे हैं कि बुद्धिमता सिर्फ इस वर्तमान युग की ही देन है...पहले के लोग तो जंगली, मूर्ख, गंवार हुआ करते थे। जब कि वास्तव में अपनी बुद्धि को सर्वोपरि मानने की भूल करने वाले ये लोग ही सबसे बडे मूर्ख हैं।<br />उसी सर्वगुरू भारतवर्ष की जिसके ज्ञान,धर्म,महत्व एवं दूरदर्शिता की प्रशंसा समस्त विश्व करता ओर उसके गुण एवं ज्ञान को ग्रहण भी करता रहा। ओर आज ये हाल है कि छदम वैज्ञानिकता के दम्भ तले हम लोग ही उसकी अवहेलना करते नहीं थकते। इससे बढकर अज्ञान ओर क्या हो सकता है भला?। अपने शास्त्रों में छिपे ज्ञान के अतुलित खजाने को दुनिया के सामने लाने पर विचार करना तो दूर रहा, उल्टे यदि कोई इन्सान प्रयास करता भी है तो यही लोग अन्धविश्वास अन्धविश्वास की रट लगाने लगते हैं। शायद सत्य को जानने समझने की भावना ही मर चुकी है। "इतो नष्ट: तत्तो भ्रष्ट:" के अनुसार ये लोग जहाँ स्वयं तो पथभ्रष्ट हो ही चुके हैं ओर लगे हाथ दूसरों को भी भ्रमित करने में दिन रात लगे रहते हैं। बस अपनी सभ्यता, संस्कृ्ति के पृ्ष्ट भाग पर गधे की तरह से दुलत्तियाँ झाडने पर लगे हुए हैं। लेकिन इन लोगों को शायद ये नहीं पता कि ऎसा करके ये लोग खुद अपने पैरों पर ही कुल्हाडी मार रहे हैं।Pt. D.K. Sharma "Vatsa"https://www.blogger.com/profile/05459197901771493896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-54996976252464429402010-04-22T22:30:47.223+05:302010-04-22T22:30:47.223+05:30मेरे प्रिय अनुज ! मैं तो आप से पहले ही कह चूका हूँ...मेरे प्रिय अनुज ! मैं तो आप से पहले ही कह चूका हूँ कि मुझे आप से प्यार है . मैं तो इस लोक में ही नहीं परलोक के अमरधाम में भी आपको अपने साथ रखना चाहूँगा . मुझे आज आपके सत्य प्रेम और निष्पक्ष होने का यकीन आ गया है . भारत का भविष्य रौशन है , आपको देख कर मैं कह सकता हूँ .DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-2674866847389341432010-04-22T22:18:02.408+05:302010-04-22T22:18:02.408+05:30बिलकुल सही अमित जी मैं आपसे पूरी तरह से सहमत हूँ। ...बिलकुल सही अमित जी मैं आपसे पूरी तरह से सहमत हूँ। अगर कोई किसी भी धर्म के ग्रंथों को कोरी बकवास कहकर अपने आधुनिक होने का प्रदर्शन करता है तो उसका विरोध होना ही चाहिए। मैं खुद भी धार्मिक ग्रंथों में लिखी अनेक बातों पर विश्वास नहीं करता और बहुत से पुरातन रीति रिवाजो का पालन नहीं करता पर इन बातों को कोरी बकवास कहकर इनका सार्वजानिक रूप से खंडन भी नहीं करता। धर्म १०० प्रतिशत आस्था का विषय है और मैं किसी की आस्था पर तब तक चोट करना सही नहीं समझता जब तक उससे किसी का नुकसान ना हो या बेवजह किसी और को इसमें समिलित होने के लिए उकसाया ना जाय।VICHAAR SHOONYAhttps://www.blogger.com/profile/07303733710792302123noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-64605569762398184922010-04-22T21:32:01.278+05:302010-04-22T21:32:01.278+05:30पूरे समाज को लेकर चलनेवाली इतनी अच्छी प्राचीन सभ्...पूरे समाज को लेकर चलनेवाली इतनी अच्छी प्राचीन सभ्यता और संस्कृति को ढोते चले आ रहे अपने पूर्वजों को हम पिछडा मान लेते हैं .. तरह तरह की कला और साहित्य का विकास भूखे लोगों द्वारा नहीं हो सकता था .. विदेशियों के आक्रमण के पहले भारतवर्ष में सब सुखी संपन्न होते थे .. अपने को आधुनिक मानने वाले आज के लोग पुराने लोगों को गरीबों का शोषण करनेवाला कहा करते हैं .. पर आज ही मजदूरों के हित की .. अबलाओं के हित की कौन सोंच रहा है .. कौन सा अधिकार प्राप्त है उन्हें .. कालांतर में हमारी जीवनशैली में यदि एक दो गलत तत्व घुस गए थे .. तो क्या उन्हें सुधारा नहीं जाना चाहिए था .. स्वार्थी तो आज का मनुष्य है .. आज तो अपने परिवार से इतर किसी की कोई चिंता ही लोगों को नहीं है .. और इस काम में पूर्वज उनका साथ नहीं देते हैं तो उन्हें अनुभवहीन माना जाता है .. .. यह देखते हुए कि आधुनिकीकरण ने हमारा कितना नुकसान किया है .. फिर भी सुख के लिए हम अपने प्राचीन जीवनशैली में लौटने को तैयार नहीं हो रहे हैं .. जबतक सारी परिस्थितियां अच्छी होती हैं और मनमौजी ढंग से जीवन जीने का अवसर मिलता रहता है .. हम बुजुर्गों की कोई बात मानने को तैयार ही नहीं होते हैं .. पर पैसों के बल पर ही सबकुछ नहीं खरीदा जा सकता है .. दूसरों के साथ किसी अनहोनी पर अब हमारा खून नहीं खौलता है .. और एक दिन ऐसा अवश्य आता है .. जब अनुभवहीनता के कारण हम खुद भी गहरी खाई में गिर जाते हैं .. न तो सामने बुजुर्ग होते हैं और न ही ईश्वर .. अधिक से अधिक सफल होने के लिए समाज से तो हम कटे हुए होते ही हैं .. तब हमारा सबकुछ समाप्त हो चुका होता है !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-3333206602041861972010-04-22T21:22:34.138+05:302010-04-22T21:22:34.138+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Pushpendrahttps://www.blogger.com/profile/01342834833517234022noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-32919438581078349402010-04-22T21:21:19.659+05:302010-04-22T21:21:19.659+05:30aaj aapne sabit kar diya ki aap sirf kitabi gyaani...aaj aapne sabit kar diya ki aap sirf kitabi gyaani nahi h, itni namrata use men ho sakti hai jo gyaan ko jeeta ho. <br /><br />aapko janam dene waali maa dhanya h.Pushpendrahttps://www.blogger.com/profile/01342834833517234022noreply@blogger.com