tag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post6560484124442383361..comments2024-03-23T15:42:05.574+05:30Comments on अमित शर्मा: बताइए जमाल साहब दो पैमानों से कौन नाप रहा है, कौन बैर फैला रहा है ?Amit Sharmahttp://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comBlogger52125tag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-70321208355198790062011-10-22T23:16:15.695+05:302011-10-22T23:16:15.695+05:30वेदों का अनर्थ करने वाले जमाल जैसे लोगों का अमित ...वेदों का अनर्थ करने वाले जमाल जैसे लोगों का अमित जी ने सटीक और प्रमाण सहित जवाब दिया है .लेकिन जब कुरान या इस्लाम के बारे में सवाल किया जाता है तो मुस्लिम ब्लोगरों की घिग्घी बंध जाती है .ऐसे लोगों को भंडाफोडू बराबर जवाब देता है .फारसी कहावत है "अगर नामे सग बिगीरी ,चोब बि दस्त गीरी "यानि कुत्तों से बात करो ,तो हाथ में डंडा जरुर रखों "Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-50916335198478606752010-04-19T14:03:27.966+05:302010-04-19T14:03:27.966+05:30आप सभी का हार्दिक धन्यवाद. अपने विचारों से मुझे हम...आप सभी का हार्दिक धन्यवाद. अपने विचारों से मुझे हमेशा नियंत्रित करते रहिएगा. जब कभी भी गलत लिखू उसी समय कान पकड दीजियेगा . एक बार फिर धन्यवाद्Amit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-18978064811204162252010-04-18T19:16:12.435+05:302010-04-18T19:16:12.435+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-41445963210361008252010-04-18T11:19:27.524+05:302010-04-18T11:19:27.524+05:30dr. jamaal agar amit ka intjar h to thodi tasalli ...dr. jamaal agar amit ka intjar h to thodi tasalli rakhiye woh ganw gaye h mere unse ph. pe baat hui thi, itna mat tadpo tumhari is kabj ka churan bhi dende woh tumkoPushpendrahttps://www.blogger.com/profile/01342834833517234022noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-74558407139706064062010-04-18T10:23:49.840+05:302010-04-18T10:23:49.840+05:30amit ji, aapke likhan ko naman karte huye yahi kam...amit ji, aapke likhan ko naman karte huye yahi kamna karta hun ki desh ka har nojawan aapki tara bhat ko gahrai se samjne wala or shaleenta ki murti bane aapne kabhi bhi apne lekhan ke star ko girne nahi diya h. aage bhi aapse or dusre lekhko se bhi prarthna h ki apne lekhan me stariyata mabaye rahenge<br /><br />thans............Unknownhttps://www.blogger.com/profile/12586392104829124140noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-24037927904023221172010-04-17T22:25:39.559+05:302010-04-17T22:25:39.559+05:30Bada abhyas poorn aalekh hai!Bada abhyas poorn aalekh hai!kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-7907611695259489212010-04-17T21:13:54.310+05:302010-04-17T21:13:54.310+05:30@भाई अमित ! आपने वेदमंत्र का यह नवीन अर्थ किस विद्...@भाई अमित ! आपने वेदमंत्र का यह नवीन अर्थ किस विद्वान से लिया है जो किसी भी प्राचीन विद्वान के भाष्य में नहीं मिल रहा है ? <br />ये बेचारे तो भोले लोग हैं । इन्होंने वेदों की सूरत भी न देखी होगी । ये आज आपकी वाह वाह कर रहे हैं लेकिन जब मैं आपके गुरू के अन्य विचार अपने ब्लॉग पर प्रकाशित करूंगा तो फिर इनमें से आपके गुरू जी की वाह वाह करने कोई नहीं आयेगा । यह हमारा दावा भी है और वादा भी । बस , जल्दी से उस आदमी का नाम बताइये जिसके भावार्थ को आप फ़ोल्लो कर रहे हैं । मैं इस मजमे को यह भी दिखाऊँगा कि अमित जी जिसे महान समझ रहे हैं वह वेदों के एक मंत्र , एक लाइन बल्कि एक लफ़्ज़ का अनुवाद करने की योग्यता से भी रिक्त था लेकिन यहां तो पब्लिक भगवे कलर के कपड़ों में संस्कृत जानने वाले हरेक ऐरे ग़ैरे को गुरू या साक्षात ईश्वर ही मान लेती है । लेकिन पब्लिक का क्या है ? पब्लिक तो कुछ भी कह देती है । अब देखिये , अगर मैं ग़लत नहीं हूं तो ......<br />ख़ैर छोड़िये , आप पहले नाम बताइये । बाक़ी बातें उसके बाद ही होंगी ।DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-29922984197396027612010-04-17T17:48:09.162+05:302010-04-17T17:48:09.162+05:30अमित जी काहे परेशान हो रहे हो ?
मस्लिम धर्मावलम्बि...अमित जी काहे परेशान हो रहे हो ?<br />मस्लिम धर्मावलम्बियों को कुरआन सिर्फ और सिर्फ दंगा लड़ाई झंगडा<br />ही सिखाती है इसका प्रमाण यही है की जब से ये वेद प्रेमी देश प्रेमी यहाँ आये है हमेशा दूसरो को उसका धर्म पढ़ाने की कोशिश कर रहे है पर अपमे कबाड़ को आज भी सर्वश्रेष्ठ समझ रहे है जबकि वो दो कोडी का कूड़ा भी नहीं है ये आज भी जगली मानसिकता के साथ जी रहे है टोपी और दाढ़ी का धर्म के साथ <br /> कोई मेल नहीं पर खुद को आक्रान्ताओं से जोड़ कर रखने की चाहत इनमे साफ़ झलकती है गंदगी और गंदे दिमाग इनकी खासियत है नहीं यकीन तो दिमाग आप यहाँ देख चुके है बाकी ज़रा कभी इनके मोहल्लो में घूम आइये . कई दिन खाना नहीं खा पायेगे . <br />ये वेदों में कामिया निकाल कर हमें सिखाने की कोशिश कर रहे है . और हम सिर्फ ब्लॉग पर इनको समझाने में लगे है की भैया आदमी बन जाओ . जो नहीं आता उसमे ज्ञान मत बघारो . लेकिन अगर हम कुरआन पढ़ने लग गए तो ये तुरंत जगंली जानवरों की तरह सड़को पर कतले आम करने इस्लाम खतरे में है निकल पड़ेगे . बरेली और हैदराबाद के अभी के हाल देख लो कशमीर के हाल देख लो . सो आप इन्हें इग्नोर करते रहे वैसे आपने थप्पड़ अच्छे मारे है पर ये कोई उस टुच्चे पेंटर से कम थोड़े ही है ज्य्हा का खायेगे उसमे छेद करगे हीkallu khan bharteeynoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-2258209014964651702010-04-17T16:39:01.391+05:302010-04-17T16:39:01.391+05:30tum kya apne ko kya gyan samjhte ho bata to ye bha...tum kya apne ko kya gyan samjhte ho bata to ye bhasy kha se layaAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-35025977212939716202010-04-17T16:31:12.289+05:302010-04-17T16:31:12.289+05:30आमित जी ज्ञान का प्रकाश फ़ैलाने के लिए धन्यवाद् . म...आमित जी ज्ञान का प्रकाश फ़ैलाने के लिए धन्यवाद् . मै भगवान को मानता हूँ पर ऐसी बतों में काम ही intrest लेता हूँ घर के पूजा पाठ में भी काम ही भाग लेता हूँ , पर आज मेरे पापा ने बुला के आपकी पोस्ट पढाई और कहा की ये भी जवान लड़का है कुछ सीखो इससे, और एक के बाद एक पोस्ट पड़ता गया और जितना अपने धर्म के बारे में इतनी जिन्दगी में ना जाना उतना आज जान लिया. आपके ज्ञान को सलामAbhinavnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-31169640061799170812010-04-17T16:17:15.815+05:302010-04-17T16:17:15.815+05:30Amit bhai, vaise main aalochna se bachta hoon leki...Amit bhai, vaise main aalochna se bachta hoon lekin aaj vaastav me aapki post padhkar laga ki ye 1 lakh rupaye me degree khareed doctor bana aadmi kitna bada pagal hai.. ye kisi dharm ka nahin lagta mujhe.. ye sirf dange bhadkaane ke maqsad se aayatit maal lagta hai.दीपक 'मशाल'https://www.blogger.com/profile/00942644736827727003noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-53137839230975840832010-04-17T15:27:57.902+05:302010-04-17T15:27:57.902+05:30हम तो वेद कुरानी बन्दर को अकेला छोड़ दे पर तुम हिन...हम तो वेद कुरानी बन्दर को अकेला छोड़ दे पर तुम हिन्दु उसे हनुमान बता कर पूजना शूरू कर दोगे और उसका कही मन्दिर बना दोगेAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-32336038503700584172010-04-17T15:06:56.450+05:302010-04-17T15:06:56.450+05:30छोटा सा सवाल तुम से भी जमल से भी तुम किस का अनुवाद...छोटा सा सवाल तुम से भी जमल से भी तुम किस का अनुवाद भासस्य से अपनी बात कह रहे हो या मामा ने लिखा भांजा घोड़े को ईश्वर बना के पेश कर रहा हे और हम सब pathak जाहिल साबित हो रहे हें <br /><br />तुम किस का अनुवाद भासस्य से अपनी बात कह रहे हो?<br />तुम किस का अनुवाद भासस्य से अपनी बात कह रहे हो?<br />तुम किस का अनुवाद भासस्य से अपनी बात कह रहे हो?Unknownhttps://www.blogger.com/profile/07400968230123682219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-61580927245426552252010-04-17T13:27:36.635+05:302010-04-17T13:27:36.635+05:30कितना सही लिखा आपने . जब तक पूरा सन्दर्व ना लिया ज...कितना सही लिखा आपने . जब तक पूरा सन्दर्व ना लिया जाये तो अर्थ क अनर्थ हो जाता है . और यह वेद्कुरान वाले ना वेद के रहे ना कुरान के सीधे शब्दो मे धोबी का कुत्ता घर का ना घाट काdhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-47866052427407255792010-04-17T12:49:10.852+05:302010-04-17T12:49:10.852+05:30वेदकुरानी बंदर को अकेला छोड़ दो, खुद ही खुजा-खुजा ...वेदकुरानी बंदर को अकेला छोड़ दो, खुद ही खुजा-खुजा के अपना शरीर घायल कर लेगा. इससे बात करना फिजूल है.....पूर्ण समर्थन...बाकी आपने बहुत ही सुंदर विश्लेषणात्मक आलेख लिखा है .....अच्छा लगाdrdhabhaihttps://www.blogger.com/profile/07424070182163913220noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-64371665368186856082010-04-17T12:37:57.592+05:302010-04-17T12:37:57.592+05:30ये इस बात का गबाई ह की सत के ही जीट होती ह . अमित ...ये इस बात का गबाई ह की सत के ही जीट होती ह . अमित जी आप ने बिकुल सागर में मोती धुन्द्ते ह जमाल्वादी समझे या नाही पर हमें तो बहुत कूच जाना मिल रहा ह आप का धनयवादnitirajnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-2209938669379415772010-04-17T12:27:06.045+05:302010-04-17T12:27:06.045+05:30amit ji, aapke likhan ko naman karte huye yahi kam...amit ji, aapke likhan ko naman karte huye yahi kamna karta hun ki desh ka har nojawan aapki tara bhat ko gahrai se samjne wala or shaleenta ki murti bane aapne kabhi bhi apne lekhan ke star ko girne nahi diya h. aage bhi aapse or dusre lekhko se bhi prarthna h ki apne lekhan me stariyata mabaye rahengePushpendrahttps://www.blogger.com/profile/01342834833517234022noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-33841718183147399172010-04-17T12:15:07.372+05:302010-04-17T12:15:07.372+05:30सुरेश भाईसाहब से सहमत हूँ.. जिनकी जागने की नीयत ही...सुरेश भाईसाहब से सहमत हूँ.. जिनकी जागने की नीयत ही नहीं है उनके आगे ढोल बजाने से भी कोई फायदा नहीं..<br />इस पोस्ट के लिए बधाई स्वीकारिये अमित भाई..कुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-42260370329334550142010-04-17T11:59:41.581+05:302010-04-17T11:59:41.581+05:30अमित जी बहुत अच्छा आलेख प्रस्तुत किया है आपने... ब...अमित जी बहुत अच्छा आलेख प्रस्तुत किया है आपने... ब्लॉगजगत में शोर गुल, व्यक्तिगत आक्षेप ज्यादा है, काम की जानकारी कम है, जरुरत थी ऐसे ही कुछ बातों की. आपका धन्यवाद...<br /><br />मैंने भी काफी समझाने की कोशिश की थी, कुछ लोग खुले मन से स्वीकार नहीं करते... वे ये देखते हैं, लेखक कौन है, उसका चरित्र, उसका धर्म कैसा है... यहीं पर इंडिया, इंडिया नहीं भारत मार खा जाता है. फलतः: कोई बहस अच्छे से सम्पूर्ण नहीं हो पाता. कुछ लेख यहाँ देख सकते हैं http://sulabhjaiswal.wordpress.com/Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-75695254377724037502010-04-17T11:25:47.384+05:302010-04-17T11:25:47.384+05:30अमित जी बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं लगे रहिये. चिप...अमित जी बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं लगे रहिये. चिपलूनकर साहब ने कहा है कि सोने का नाटक करने वाले नहीं जग सकते, बात ठीक है, लेकिन इस नेगेटिविटी का भी लाभ है... आम हिन्दू भी वेदों की ओर मुड़ेगा तो कम से कम, "सत्य" की खोज के लिये ही.. दूसरा फिरदौस, महफूज जी जैसे सच्चे मुस्लिम और भी बड़ी संख्या में आगे आयेंगे... और उन्हें भी प्रोत्साहन मिलेगा.... अनोनिमस ने ठीक लिखा है कि विश्वनाथ ने धर्म को तोड़ने के लिये धर्म पर कुठाराघात करने वाले हर लेखक को साथ लिया और यहीं हिन्दुओं की सहिष्णुता झलक उठती है कि ऐसे लेखकों को भी समाहित किया, कोई फतवा नहीं, कोई बवाल नहीं.. और यहीं पर कट्टर तालिबानियों का फर्क नजर आता है...भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-62849435760136063092010-04-17T11:23:44.282+05:302010-04-17T11:23:44.282+05:30अमित भाई, इस पूरे मुद्दे पर अब तक का सबसे अच्छा कम...अमित भाई, इस पूरे मुद्दे पर अब तक का सबसे अच्छा कमेण्ट आज "बेनामी" ने दिया है… जमाल साहब को आईना दिखाता हुआ यह स्टेटमेंट सभी लोग पढ़ें और बेनामी को सराहें… इस कमेण्ट को फ़िर से दोहराता हूं…। शायद "एक पुस्तक" वालों को समझ आये कि हिन्दुओं में खुले विचारों, आलोचना के लिये भी स्थान है (ये नहीं कि एक कार्टून के या एक बांग्लादेशी महिला के पीछे पागलों की तरह पड़ गये)… इस बहस का सर्वश्रेष्ठ कमेण्ट फ़िर से सभी लोग पढ़ें… <br /><br />"…किसी के न बताने पर भी मुझे पता था कि अनवर जमाल के ज्ञान का स्त्रोत क्या है. सरिता-मुक्ता के रिप्रिंटो में लिखी बातें टाइप करके वह खुद को वेद ज्ञाता साबित करने कि कुचेष्टा कब से कर रहा है. लेकिन उसे इतनी भी समझ नहीं कि सरिता मुक्ता के रिप्रिंटो का संदर्भ क्या है.<br />सरिता के प्रकाशक विश्वनाथ एक नास्तिक, जाति-तोड़क, हिन्दू प्रगतिवादी था जिसने अपने प्रकाशन संस्थान के माध्यम से हिन्दूओं में फैली कुरीतियों को साफ करने का बीड़ा उठाया <b>(क्या मुसलमानों में ऐसा एक भी मर्द है जो इस कीचड़ में घुसकर कह सके कि क्या गंद फैला रखी है? या सब काम औरतों को ही करना पडेगा?)</b> <br /><br />उसने इसलिये हर उस लेखक को प्रश्रय दिया जिसने धर्म के विरुद्ध बात की. उसने जैन समुदाय पर लिखी पुस्तक कितना महंगा धर्म को भी छापा (सखा बोरड़) और अगर मुसलमानों, कुरान और महिलाओं पर छापी गयी उसकी पुस्तक तुमने पढ़ ली तो हो सकता है कि खाना-जाना बंद हो जायेगा ऐसा झटका लगे…" <br /><br />वाह, वाह, वाह बेनामी भाई… क्या बात कही। एक ही वार में सब खत्म…Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02326531486506632298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-53350912825554800072010-04-17T11:20:22.520+05:302010-04-17T11:20:22.520+05:30शाह नवाज़ जी,
पवित्र कुरान ...शाह नवाज़ जी,<br /> पवित्र कुरान के संरक्षक होने का दम भरने वाले आप ही लोगों का ही परम आग्रह है की कुरआन का एक एक शब्द जिस रूप में अंकित है उसी रूप में उसका शब्दार्थ ग्रहण किया जाये, भावार्थ का तो कोई स्थान ही नहीं है.<br />किसने उकसाया था,किन्ही को कुरआन की बुराई करने के लिए,कैरंवी साहब की पोस्टों पे चिपकी हुई किताबों का प्रचार करके. जब आप अपने विश्वासों के लिए तिल भर भी इधर उधर नहीं सुन सकते तो ,दूसरों के विश्वाश क्या खला का घर है जो जैसा मान में आया उचलकूद मचा ली, खालाजान कुछ नहीं बोलेंगी. दीजिये उचित जवाबAmit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-21108920963477201502010-04-17T11:20:02.335+05:302010-04-17T11:20:02.335+05:30m isiliye aapka kaayal hu
dhanyawad aur asha kart...m isiliye aapka kaayal hu <br />dhanyawad aur asha karta hu ki kuch log jo galat vichar failate h ko bhi ye baat samajh me aa jayeSANJEEV RANAhttps://www.blogger.com/profile/02649434617771451883noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-66919859432202905982010-04-17T11:17:07.982+05:302010-04-17T11:17:07.982+05:30शेखावत जी, विश्वनाथ वामपंथी नहीं था. जितनी नफरत उस...शेखावत जी, विश्वनाथ वामपंथी नहीं था. जितनी नफरत उससे धार्मिक ठेकेदारों को थी, उतनी ही सरकाई चिलगोज़ों और वामपंथी कुत्तों को थी.<br /><br />इस वेद-कुरान वाले नासमझ बंदर ने उसके काम का दुरुपयोग किया. विश्वनाथ ने जो लिखवाय वो सब सही हो या नहीं, उसका मकसद कतई बुरा नहीं था.<br /><br />यह वही आदमी है जिसने इमरजेन्सी के समय सरिता में पूरे काले पन्ने छापे थे और उसने कठमुल्लों (सभी धर्मों के) के विरोध में जितने मुकदमे झेले और जीते उतने किसी ने देखे नहीं होंगे.<br /><br />वैसे आप सब भाईयों से गुजारिश है कि इस वेदकुरानी बंदर को अकेला छोड़ दो, खुद ही खुजा-खुजा के अपना शरीर घायल कर लेगा. इससे बात करना फिजूल है.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-3540447738829553152010-04-17T11:17:05.320+05:302010-04-17T11:17:05.320+05:30शेखावत जी, विश्वनाथ वामपंथी नहीं था. जितनी नफरत उस...शेखावत जी, विश्वनाथ वामपंथी नहीं था. जितनी नफरत उससे धार्मिक ठेकेदारों को थी, उतनी ही सरकाई चिलगोज़ों और वामपंथी कुत्तों को थी.<br /><br />इस वेद-कुरान वाले नासमझ बंदर ने उसके काम का दुरुपयोग किया. विश्वनाथ ने जो लिखवाय वो सब सही हो या नहीं, उसका मकसद कतई बुरा नहीं था.<br /><br />यह वही आदमी है जिसने इमरजेन्सी के समय सरिता में पूरे काले पन्ने छापे थे और उसने कठमुल्लों (सभी धर्मों के) के विरोध में जितने मुकदमे झेले और जीते उतने किसी ने देखे नहीं होंगे.<br /><br />वैसे आप सब भाईयों से गुजारिश है कि इस वेदकुरानी बंदर को अकेला छोड़ दो, खुद ही खुजा-खुजा के अपना शरीर घायल कर लेगा. इससे बात करना फिजूल है.Anonymousnoreply@blogger.com