tag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post7902620510344130519..comments2024-03-06T15:46:19.244+05:30Comments on अमित शर्मा: क्या वास्तव में स्त्री समाज को कभी भी पुरुष समाज से सच्चा प्यार और सम्मान नहीं मिला ????Amit Sharmahttp://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comBlogger63125tag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-87440182037148062062010-06-27T20:10:51.776+05:302010-06-27T20:10:51.776+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.nehahttps://www.blogger.com/profile/15285969324451600601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-38699275220498329742010-06-27T01:34:16.247+05:302010-06-27T01:34:16.247+05:30गंगा माँ बोली मैंने धोया पाप सबका दूर किये सबके दु...गंगा माँ बोली मैंने धोया पाप सबका दूर किये सबके दुःख मैं सबसे बड़ी,<br />शिवजी बोले अरे पगली तू तो मेरे जटा मैं पली तू केसे बड़ी तुझसे मैं बड़ा, <br />केलाश पर्वत बीच मैं बोला अरे प्रभु आप तो मेरी गोद मैं रहे आप से भी मैं बड़ा,<br />तब हनुमान जी बोले रे मुर्ख तू तो मेरे हाथ पर पड़ा तुझसे तो मैं बड़ा,<br />अब श्री रामजी बोले रे भक्त हनुमान तुम तो मेरे चरणों मैं पड़े तुमसे तो मैं बड़ा,<br /> अरे भाई ये सब तो मेरी जेब मैं पड़े मैं सबसे बड़ा हा हा हा हा ..........Sudheer Narayan Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12188610843584191891noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-64418654080131500232010-06-25T06:54:40.235+05:302010-06-25T06:54:40.235+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Sudheer Narayan Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12188610843584191891noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-64292823191152403432010-06-24T19:30:31.382+05:302010-06-24T19:30:31.382+05:30आपको साधुवाद | आज के दौर में किसी भी मुद्दे पर सिर...आपको साधुवाद | आज के दौर में किसी भी मुद्दे पर सिर्फ़ अपना नजरिया लिखना बहुत कठिन है पर आप ने यही करने की एक सफल कोशिश करी है, हलाकि विवाद फिर भी बन गया ! !शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-88519682375011032742010-06-22T18:31:51.864+05:302010-06-22T18:31:51.864+05:30वाह अनूप शुक्ल जी! अब और कहने को क्या बचा है? बस य...वाह अनूप शुक्ल जी! अब और कहने को क्या बचा है? बस यही कि यहाँ कानून भी लम्पट बनाते हैं और न्याय भी वे ही करते हैं।<br />घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-40448368856823989802010-06-21T21:15:49.626+05:302010-06-21T21:15:49.626+05:30ये सब बहसें ऐसी हैं जहां अपनी सोच के अनुसार जितने ...ये सब बहसें ऐसी हैं जहां अपनी सोच के अनुसार जितने चाहिये उससे दोगुने तर्क जुटा सकते हैं बहस करने वाले लोग। स्त्री समाज और पुरुष समाज के कोई आंकड़े हीं हैं मेरे पास लेकिन अपनी आज तक की जिन्दगी के अनुभव के आधार पर यह तय करने में मुझे कोई दुविधा नहीं है कि स्त्री की स्थिति (कम से कम अपने देश में) दोयम दर्जे की ही है। महिलायें असुरक्षित हैं। उनकी जिंदगी पुरुषों के जीवन मुकाबले कठिन है।<br /><br />जो महिलायें आगे आ रही हैं उसमें उनका, समाज का और अच्छी सोच वालों का योगदान है। <br /><br />दो-चार , घर-परिवार ,आस-पास ऐसे बहुत से उदाहरण मिल जायेंगे जहां महिलायें खुशहाल दिखें लेकिन इन चन्द उदाहरणों को पूरे समाज पर समाकलित( इंट्रीग्रेट ) करके देखना कुछ ऐसा ही है कि स्थिति चाहे जैसी हो लेकिन परिणाम वही है जो हम मानते हैं।<br /><br />ब्लॉग जगत में भी स्थिति बहुत अलग नहीं है। यहां भी इसी समाज के ही लोग आते हैं। अपने पांच साल से अधिक के ब्लॉग जगत के अनुभव के आधार पर मेरा <a href="http://hindini.com/fursatiya/archives/1471" rel="nofollow"> मानना है </a>: <b>ब्लॉगजगत में महिलाओं को तब तक बड़ी इज्जत और सम्मान के भाव से देखा जाता है जब तक अपनी सीमा में रहें। सीमा से बाहर निकलते ही उनके साथ लम्पटता शुरू हो जाती है। मजे की बात यह है सीमा तय करने की जिम्मेदारी भी लम्पट लोग ही निभाते हैं। </b>अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-41952743678892305582010-06-21T10:43:39.395+05:302010-06-21T10:43:39.395+05:30गौरव भाई आप ही बताइए की इन्हें हटाने की क्या जरुरत...गौरव भाई आप ही बताइए की इन्हें हटाने की क्या जरुरत हो सकती है, ब्लोगिंग सिर्फ ठुकुरसुहाती लिखने का नाम ही तो नहीं है, और कमेन्ट करना सिर्फ "अच्छा है" , "बहुत बढ़िया" लिखदेना ही तो नहीं होता ना. आपने इस विषय पर इतनी अच्छी चर्चा को आगे बढाया इसके लिए तो मैं आप का आभारी हूँ.Amit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-371809342037672562010-06-21T09:45:18.411+05:302010-06-21T09:45:18.411+05:30एक अंतिम स्पष्टीकरण दे दूँ
इस कल्पना में महिला जो...एक अंतिम स्पष्टीकरण दे दूँ<br /><br />इस कल्पना में महिला जो गृह उद्योग चला रही है वह कोई छोटा मोटा उद्योग नहीं है .... माल एक्सपोर्ट भी होता है मतलब कुल मिला कर ऐ सी कमरें और भारी तामझाम ही नहीं है बाकी सबकुछ वैसा है जैसा की एक बड़ा बिजनेस में होता है. ये इस बात से साबित होता है की मुखिया की पुरुष और महिला की इनकम एक सी है<br />और अगली पीढी की बालिकाओं ने सोच रखा है की वो भी माँ के नक़्शे कदम पर चलेंगी और अपने आत्म सम्मान की रक्षा करेंगी<br /><br />इस गाँव स्कूलों में नैतिक शिक्षा पढाई जाती है एक गाँव के सभी बच्चे एक दूसरे को भाई बहन मानते है , शादी पास के गाँव में होती है ... कोई अपराध की संभावना नहीं<br />इस गाँव में तलाक जैसी कोई चीज नहीं होती क्योंकि घर के बड़े बुजुर्गों का फैसला मानना ही पड़ता है ,, कोई अदालत नहीं<br />इस गाँव में चोरिया नहीं होती क्योंकि रोजगार पूरा है ( किसी के पास छोटा तो किसी के पास बड़ा )<br />इस गाँव में वृद्धों का सम्मान होता है पूरा गाँव उनका ध्यान रखता है ( कोई वृद्धाश्रम नहीं )<br /><br />मेरी सोच हमेशा से संतुलित रही है पर मुझे उसे संतुलित तौर पर प्रदर्शित करना कभी नहीं आ पाया इसीलिए शायद मैं कमेंट्स में अपनी पूरी भावनाएं जाहिर नहीं कर पाता <br />@ अमित भाई , मुझे विषय से कुछ हट कर और इतने बड़े कमेन्ट नहीं करने चाहिए जानता हूँ , पर पता नहीं क्यों कर रहा हूँ , आप इन्हें हटा सकते हैं<br /><br />ये किसी विशेष ब्लोगर के लिए नहीं, किसी विशेष वर्ग के लिए नहीं ये मानव मात्र को मेरा सन्देश हैएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-5376599676101871182010-06-21T09:14:34.136+05:302010-06-21T09:14:34.136+05:30दरअसल मैं ये भी महसूस करता हूँ की मेरी सोच बहुत द...दरअसल मैं ये भी महसूस करता हूँ की मेरी सोच बहुत देहाती टाइप की है पर आप भी सोचिये एक परिवार ( कल्पना है )<br /><br />एक सोफ्टवेयर इंजिनीअर धोती कुरते में लैपटॉप चला रहा है उसकी घरेलु कार्यों में दक्ष पत्नी उसी दक्षता के आधार पर घर पर गृह उद्योग चला रही है (घर की आय में भी हाथ बटाती रही है और अपना आत्म सम्मान भी बनाये रखती है ) जिसमे बच्चे भी सहयोग दे रहें है , सीख रहे है , मुझे उम्मीद है की ये बच्चे ( लड़के लड़कियां दोनों ) सफल लेखाकार बन सकते हैं क्योंकि वो घर की पाठशाला में प्रक्टिकल भी करते है और स्कूल भी जाते है . बड़े बड़े विदेशी सी ई ओ धोती कुरते वाले मुखिया से तनाव मनेजमेंट और प्रोफेशन की बारीकियां सीख रहे हैं , बड़ी बड़ी सेलिब्रटी महिलाएं उस साधारण सी दिखने वाली महिला से हर वो गुण पाने के लिए दूर दूर से आ रही है जो उन्हें आधुनिकता के अंधेपन में नहीं दिख पाया<br />इनके बच्चे विदेश नहीं जाते महानगर नहीं जाते क्योंकि इन्टरनेट तो गाँव में भी है , और जिसे प्रतिभा की आवश्यकता होती है इनसे संपर्क करता है<br />हर शाम मंदिर में भजन भोजन होता है लोग अपने दुःख बांटते है कोई साइकोलोजिस्ट नहीं ........<br />हर बीमारी का उपचार दादी मां चुटकियों में कर देती है कोई ओपरेशन नहीं ......<br />१०० प्रतिशत रोजगार , स्वाभिमानी महिलाऐं , हाई टेक्निक से लैस धोती कुरते वाले बच्चे ( धोती कुरता इसलिए क्योंकि भारत की जलवायु के अनुरूप है ) और विकसित भारत<br /><br />सारे एन आर आई भारत में आ चुके हैं और इसी तरह अपनी प्रतिभा का योगदान दे रहे हैं ....<br /><br />कैसा लगा ??? ये काल्पनिक भारतीय परिवारएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-38384774574345017902010-06-21T08:48:57.813+05:302010-06-21T08:48:57.813+05:30@ अंशुमाला जी , शांति बनाये रखने के लिए मैं आपके क...@ अंशुमाला जी , शांति बनाये रखने के लिए मैं आपके कमेन्ट पर चुप्पी साध कर बैठा था ये जान कर ख़ुशी हुयी की आपको मेरी सोच एकतरफा लगती है ( और वो थी भी पर सिर्फ उस कमेन्ट में ) तभी आज मेरी नज़र आपके ब्लॉग पर गयी.... वहां पर बहुत ही अच्छा (एकतरफा) लेख मौजूद है जिसमे आपने एक ऐसे लाडले की कल्पना की है जो की माता पिता की दी हर सुविधा पा कर भी अपनी हर असफलता को उसी सुविधा का परिणाम बता रहा है ...ये देख कर लड़कों के बारे में आपके विचारों का कुछ अंदाजा तो हो गया .. मेरी आपसे विनती है की अब मेरे इस लेख पर लगे स्पष्ठीकरण को देखिये http://my2010ideas.blogspot.com/2010/06/blog-post.html और अगर आप करंट ट्रेंड पर कुछ लिखना चाहें तो मैं आपको एक विषय सुझा देता हूँ जिसमे<br /><br />"माता पिता एक डिग्री धारी योग्य वर की तलाश में एक लड़की को प्रोफेशनल कोर्स करवा देते हैं , शादी के बाद उसकी कम नोलेज से उसकी पोल खुल जाती है और वो माता पिता को उनकी दी गयी सुविधा पर कुछ वैसा ही पत्र लिखती है जैसा की आपने आपकी पोस्ट में लिखा है"<br /> <br />ऐसा लेख मैं भी लिख सकता हूँ पर एकतरफा लेख लिखना शायद धीरे धीरे ही सीख पाऊंगा. हां एक बात और मैं ये मानता हूँ की स्त्री तो पहले परिवार को प्राथमिकता देनी चाहिए फिर अपनी पहचान को, इसीलिए एक सफल नारी का उदाहण भी दिया है ( इस केस में परिवार सभ्य संस्कारी है )<br />@अमित भाई , अगर आपको मेरा ये कमेन्ट गैर जरूरी लगे तो तुरंत पूरी तरह हटा दीजिएगा , मैंने अंशुमाला जी को दो कमेन्ट भेज दिए हैएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-12742185168812034262010-06-20T15:54:30.343+05:302010-06-20T15:54:30.343+05:30आप सभी का आभार व्यक्त करते हुए एक बार फिर यह निवेद...आप सभी का आभार व्यक्त करते हुए एक बार फिर यह निवेदित करना चाहुंगा की मैंने ये पोस्ट लिखते हुए पहले ही साफ़ कर दिया था की "मैं यहाँ स्त्री बुरी या पुरुष भला का राग अलापने नहीं बैठा हूँ." सारी बुराई मानवता के पतन की है, किसी एक विषय नारी शोषण, बाल मजदूरी या शोषण, दहेज़, भ्रष्ठाचार, या देश द्रोह किसी भी एक समस्या के लिए किसी भी एक वर्ग मात्र को दोषी नहीं ठराया जा सकता है. जो दुर्गुण सार्भौमिक है, उन्ही के विरुद्ध आवाज़ उठनी चाहिये. किसी एक समाश्या के लिए सारे वर्ग को दोषी ठहरा देना नयोचित नहीं कहा जा सकता है.<br />जिस प्रकार आतंकवाद के लिए सारे मुश्लिम समाज को, या फिर नक्सलवादी हिंसा के लिए सारे आदिवाशियों को दोषी नहीं बताया जा सकता है .<br />लेकिन जब किसी भी एक समाश्या के लिए काम करने वाले, लेखन करने वाले सारी समस्या के लिए विपरीत वर्ग को समूल दोषी ठहरा जाते है तो बात मन को कचोटती है.<br />एक बार फिर धन्यवाद देते हुए की आप सभी ने इस विषय की नाजुकता को समझते हुए जिस गरिमामय वातावरण में संवाद किया इसी प्रकार के सहयोग और संवाद की अपेक्षा करता हूँ और अपने बेनामी बंधु से भी आग्रह करता हूँ की अपने मन की बात गरिमामय ढंग से रखते तो सभी को कुछ और भी जानने को मिल सकता था.Amit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-79396964492174710702010-06-20T13:52:31.410+05:302010-06-20T13:52:31.410+05:30Mukti
Let them be abusive . every abusive post aga...Mukti<br />Let them be abusive . every abusive post against me by any one makes me realise how deep rooted gender bias is . Woman bloggers are supposed to write goody good comments , goody goody poems and nothing moreAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-34483275769880822382010-06-20T12:49:15.304+05:302010-06-20T12:49:15.304+05:30रचना जी, यही बात तो मैं भी कह रही थी कि जब तर्क की...रचना जी, यही बात तो मैं भी कह रही थी कि जब तर्क की बात होती है, तो तर्क करें... लोग नारी ब्लॉगर पर व्यक्तिगत आक्षेप क्यों करते है? हमलोग तो कभी भी पुरुषों पर सीधे आरोप नहीं लगाते तो ये लोग क्यों ऐसा करते हैं?muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-80487625414071265702010-06-20T08:52:27.757+05:302010-06-20T08:52:27.757+05:30अगर एक मानव दूसरे मानव को ( स्त्री या पुरुष तो फिर...अगर एक मानव दूसरे मानव को ( स्त्री या पुरुष तो फिर से विभाजन हो जायेगा ना ) सही सम्मान दे और उसके हितों को नुकसान न पहुंचाए तो सब ठीक हो जायेगा बस काफी है<br /><br />time and again i write on naari blog about eqaulity among human beings given by constitution and legal system <br /><br />i really fail to understand why people start abusing woman bloggers who write on these issues <br /><br />we are trying to spreadd awareness about the inequality and what woman bloggers are writing is to show how much disparity is still there <br /><br />gender bias is prevelent in vaiours forms and its the cconditioning of society which is responsible <br /><br />none has the right to tell woman what is right and what is wrong woman has been given a brain and she uses it <br /><br />after reaching adult hood and after becoming self reliant every individual shoul be given equal rights as given by law and constituion irrespective of cast and creed and genderAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-22060759223945424652010-06-19T23:55:53.954+05:302010-06-19T23:55:53.954+05:30@ गौरव मैंने अपने ब्लॉग पर आपकी टिप्पणी पढ़ी थी और...@ गौरव मैंने अपने ब्लॉग पर आपकी टिप्पणी पढ़ी थी और जानती हूँ कि आप मेरे ब्लॉग के समर्थक हैं. बहस और तर्क में बुरा मानने जैसी कोई बात नहीं होनी चाहिए... आप निश्चिन्त रहिये. मैं न किसी पर व्यक्तिगत आक्षेप करती हूँ और न किसी बात को पर्सनली लेती हूँ. शुभकामनाएं !muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-3533318745983649842010-06-19T21:49:06.360+05:302010-06-19T21:49:06.360+05:30@मुक्ति जी, ये जान कर भी खुशी हुई की आप किसी को भी...@मुक्ति जी, ये जान कर भी खुशी हुई की आप किसी को भी स्त्री विरोधी नहीं मानती पर फिर भी एक बात और कहूँगा अंत में की अगर मेरे किसी भी विचार से आपको थोड़ा सा भी बुरा महसूस हुआ हो ... जरा सा भी .....तो छोटा नादान भाई समझकर माफ़ कर दीजियेगा . मैं खुद भी यही चाहता हूँ की मैं गलत साबित हो जाऊं और आप सही .... इस हार में भी मुझे जीत की खुशी मिलेगी ..आपके सभी मानवता के हित में किये जाने वाले प्रयासों को बल मिले यही दुआ है मेरीएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-81774408054066028682010-06-19T21:33:14.020+05:302010-06-19T21:33:14.020+05:30@मुक्ति जी, मैं आपके विचारों का तभी से सम्मान कर...@मुक्ति जी, मैं आपके विचारों का तभी से सम्मान करता हूँ जब से आपका ब्लॉग पहली बार पढ़ा है आप वहां मेरे कमेन्ट भी देख सकती हैं ......मैं अभी अंतिम कमेन्ट करीब करीब वैसा ही करने वाला था जो की आपने अभी किया . मैं ये मानता हूँ की हमें विभाजन की आदत हो गयी है , ये हमारे संस्कारों में शामिल हो गया है<br />अगर एक मानव दूसरे मानव को ( स्त्री या पुरुष तो फिर से विभाजन हो जायेगा ना ) सही सम्मान दे और उसके हितों को नुकसान न पहुंचाए तो सब ठीक हो जायेगा बस काफी है<br /> ..... फिर क्या आधी आबादी क्या पूरी आबादी<br />ये आधी आबादी शब्द ऐसा प्रतीत होता है जैसे दूसरे गृह के जीव की बात हो रही हो , मैं तो कल भी सब को सम्मान देने की बात करता था आज भी करता हूँ और करता रहूँगा , क्योंकि मानव की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ती के बाद आत्मसम्मान का ही नंबर आता है .. है ना ??एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-91038794450053343862010-06-19T20:26:59.796+05:302010-06-19T20:26:59.796+05:30@ गौरव जी, मैं आपको क्या किसी को भी स्त्री-विरोधी ...@ गौरव जी, मैं आपको क्या किसी को भी स्त्री-विरोधी नहीं समझती क्योंकि नारी की दोयम स्थिति के लिए पुरुष नहीं, बल्कि हमारी सामाजिक संरचना दोषी है... इसके लिए पितृसत्तात्मक विचारधारा दोषी है, जिससे सत्री-पुरुष दोनों ही प्रभावित होते हैं... पितृसत्ता के अंतर्गत सत्ता हमेशा शक्तिशाली के हाथ में होती है और विश्व के अधिकतर समाजों में पुरुष अधिक शक्तिशाली है... इसलिए सत्ता उसके हाथ में है... इसका यह अर्थ नहीं कि औरतें शोषक नहीं होतीं, बेशक औरतें भी शोषक होती हैं और पुरुषों में भी संवेदनशील लोग होते हैं... पर अपने देखा होगा कि जिन महिलाओं के हाथ में सत्ता होती है, वही कमज़ोर स्त्रियों पर अपना हुक्म चलती है. यदि सास तेज-तर्रार है तो वो हावी रहेगी और यदि बहू ज्यादा तेज है, तो वह सास का शोषण करेगी... <br />हमारा बस ये कहना है कि क्या कमजोरों को इस समाज में रहने का हक नहीं है? अब चाहे वो स्त्री हो, दलित हो, गरीब हो या बाल मजदूर... हर एक को अपने न्यूनतम अधिकार तो मिलने ही चाहिए.<br />आखिर बाल मजदूरी के लिए चलाए जा रहे अभियान से ये तो नहीं सिद्ध होता कि सभी बच्चे बाल मजदूर हैं या कुछ दलितों के अच्छी नौकरी पाकर अच्छी स्थिति में आ जाने से ये तो सिद्ध नहीं होता कि सभी दलितों की स्थिति सुधर गयी है. तो स्त्रियाँ तो देश की आधी आबादी हैं... उनमें से अधिकांश को अधिकार नहीं मिला है ये तो सच है ही न?muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-82175896862895866342010-06-19T19:01:45.558+05:302010-06-19T19:01:45.558+05:30@ अंशुमालाजी,
आपकी इस टीप्पणी के पूर्वार्ध से सहम...@ अंशुमालाजी,<br /><br />आपकी इस टीप्पणी के पूर्वार्ध से सहमत,लेकिन "शिशुपाल जी कि बात पर गौर.... के विषय में...<br /><br />दाँतो के विशेषज्ञ के पास निश्चित ही दाँतो का दर्दी ही आयेगा,और दाँतो के विषय में उनका मन्तव्य निर्णायक होगा।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-40224590584593831672010-06-19T18:25:46.847+05:302010-06-19T18:25:46.847+05:30मैंने पहले भी कहा है कि इस तरह के लेख लिखने से कोई...मैंने पहले भी कहा है कि इस तरह के लेख लिखने से कोई फायदा नहीं है क्योकि जो सुधारे हुए है उनको इसकी जरुरत नहीं है और जो बिगड़े है उनके ऐसे लाखो लेख क्या खुद भगवान भी आकर कहे तो वो नहीं सुधरने वाले और सच को सच नहीं मानने वाले | ये हजारो साल पुरानी मानसिकता है उसे जाने में काफी समय लगेगा | हम सबकी बाते तो आप को बेकार लगेगी पर कम से कम शिशुपाल जी कि बात पर गौर कीजिए वो काम कर रहे है ऐसे ही विषय पर और पुरुष भी है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-26845792075994499622010-06-19T18:16:20.875+05:302010-06-19T18:16:20.875+05:30इस चर्चा को चलाने का शुक्रिया अमित जी,
बेशक आपके प...इस चर्चा को चलाने का शुक्रिया अमित जी,<br />बेशक आपके प्रसतूत दृष्टिकोण से सोचा ही जाना चाहिए।<br />ममता और मोह वशीभूत नारी ने कंई कर्तव्य स्वयंभू लाद रखे है।<br />जब कहीं कोई स्त्री इन स्वेच्छिक कर्तव्यों को असहनीय देख विचलित होती है तो, सर्वप्रथम बंदिश दूसरी नारी से ही उपस्थित होती हैं एवं सुविधा से अभ्यस्त पुरुष बादमें। उपस्थित अत्याचार के किस्से इसी मानसिकता के परिणाम है। और हो-हल्ला विपरित मानसिकता के।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-82110322763703005042010-06-19T18:16:18.653+05:302010-06-19T18:16:18.653+05:30जब महिलाए किसी ऐसे विषय पर लिखती है तो उनके कहने क...जब महिलाए किसी ऐसे विषय पर लिखती है तो उनके कहने का अर्थ ये नहीं है कि सभी पुरुष बुरे है या सभी महिलाओ के साथ बुरा व्यवहार हो रहा है उन लेखो से बुरा उसे ही लगेगा जो खुद नारी को दोयम दर्जे का मान रहा है | अब सीता हरन के लिए दूसरी नारी को दोष दिया जा रहा है जैसे कि रावण ने उससे पहले किसी और नारी के साथ ऐसा किया ही न हो या वो तो राम से भी महान था उसे तो उसकी बहन ने ही कान भर भर के राक्षस बनाया हो | किसी ने कहा कि आज कल के बच्चे बिगड़ रहे है क्योकि महिलाए बाहर काम कर रही है बच्चो पर काम ध्यान दे रही है इसलिए मतलब ये कि जो महिलाए घर पर बच्चो को पाल रही है उनके बच्चे तो राम बन कर निकाल रहे है उनके बच्चे बिगड़ते ही नहीं | इन बातो से ही पता चल जाता है कि नारी के लिए आप के क्या विचार है आप हर बात के लिए नारी को ही दोष दे रहे है | यहाँ पुरे समाज कि बात हो रही है और लोग अपने निजी उदाहरन दे रहे है | आप के घर में ये नहीं हो रहा है बहुत अच्छी बात है पर जरा नजर घुमा कर अपने घर शहर और राज्य से बाहर पुरे देश का हाल देखीये फिर कुछ कहिये | ब्लॉग पर या कही और जो महिलाए इस विषय पर लिखती है वो इसी लिए लिखती है कि जिस सम्मान प्यार के साथ वो जीवन जी रही है वही सम्मान और प्यार सभी नारी को मिले और वो उसके लिए उनकी तरफ से लड़ती है | एक तरफ तो आप महिला स्वतंत्रता के नाम पर महिलाओ के विवाह पूर्व सेक्स को बुरा बता रहे वही दूसरी तरफ आपसी सहमति से बने सेक्स को सही ठहराह रहे है यदि ये गलत है तो दोनों के लिए गलत है क्या आप नहीं जानते कि विवाह का झूठा वादा करके कितने लडके ये सब लड़कियों के साथ कर रहे है आप को तो उन लड़कियों कि सराहना करनी चाहिए कि उन्होंने उन लड़को को अपना भावी पति मान कर कुछ किया अब वो मुकर रहा है यदि वो सिर्फ मौज मस्ती के लिए ये करती तो किसी को अदालत तक खीच कर नहीं ले जाती जबकि उनको मालूम है कि ऐसे केस में ज्यादा नुकसान उनको ही होगा |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-71503020199178843912010-06-19T17:06:09.475+05:302010-06-19T17:06:09.475+05:30नारी उत्थान का झंडा बुलंद करने के चक्कर में अक्सर ...नारी उत्थान का झंडा बुलंद करने के चक्कर में अक्सर लोग सभी मर्दों को बुरा बना देते हैं, यह एक बहुत ही गलत बात है. मैं इस विषय पर पूर्णत: आपके साथ हूँ.<br /><br />ज़रा सोचिये इस पृथ्वी की आधी आबादी वाले सभी पुरुष अगर बुरे हो जाएँगे तो इस दुनिया का क्या होगा?<br /><br /><b>ज्यादा ना लिखकर आप सभी से विशेषकर स्त्री समाज से पूछना चाहुंगा की क्या वास्तव में स्त्री समाज को कभी भी पुरुष समाज से सच्चा प्यार और सम्मान नहीं मिला????</b>Shah Nawazhttps://www.blogger.com/profile/01132035956789850464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-2967706327052463462010-06-19T17:00:57.637+05:302010-06-19T17:00:57.637+05:30अमित जी, बहुत ही दमदार और उचित सन्दर्भ में लिखा ले...अमित जी, बहुत ही दमदार और उचित सन्दर्भ में लिखा लेख है. लेकिन साथ ही साथ यह भी सत्य है की नारियों का शोषण आज भी होता है. और अक्सर नारी उत्थान की बात करने वाले ही नारी शोषण में सबसे आगे होते हैं.<br /><br />लेकिन एक बात से मैं सहमत नहीं हूँ.<br /><br />"आपसी सहमती से बनाये गए संबंधों को बलात्कार का नाम कैसे दे दिया जाता है "<br /><br />व्यभिचार जैसे खतरनाक जुर्म को रोकने में यह बड़ा कारगर है. इससे कम-से-कम यह डर तो रहता है कि कहीं आपसी सहमति के बाद भी बलात्कार का आरोप ना लग जाए, और कुछ लोग इस डर से अनैतिक संबंधो से बच जाते हैं.Shah Nawazhttps://www.blogger.com/profile/01132035956789850464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-921423282499621986.post-21264813802744792562010-06-19T16:40:21.690+05:302010-06-19T16:40:21.690+05:30अगर रामायण में सीता अपहरण की घटना रोकना चाहें तो स...अगर रामायण में सीता अपहरण की घटना रोकना चाहें तो सिर्फ शूर्पनखा ( एक स्त्री ) को रोकना होगा कई सारी स्त्रियों को समस्या हल हो जाएगी.......<br />मैंने कहा ना " स्त्री ही स्त्री की प्रथम दुश्मन होती है, अगर बारीकी से देखो तो "एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.com