शुक्रवार, 23 मार्च 2012
रविवार, 19 फ़रवरी 2012
दुर्बोधों के लिए दुर्लभ ॠषभकंद बोध, सुबोधों के लिए सहज बोध!!
मांस लोलुप आसुरी वृतियों के स्वामी अपने जड़-विहीन आग्रहों से ग्रसित हो मांसाहार का पक्ष लेने के लिए बालू की भींत सरीखे तर्क-वितर्क करते फिरते है । इसी क्रम में निरामिष के एक लेख जिसमें यज्ञ के वैदिक शब्दों के संगत अर्थ बताते हुये इनके प्रचार का भंडाफोड़ किया गया था । वहाँ इसी दुराग्रह का परिचय देते हुये ऋग्वेद का यह मंत्र ----------
अद्रिणा ते मन्दिन इन्द्र तूयान्त्सुन्वन्ति सोमान् पिबसि त्वमेषाम्.
पचन्ति ते वृषभां अत्सि तेषां पृक्षेण यन्मघवन् हूयमानः . -ऋग्वेद, 10, 28, 3
लिखते हुये इसमें प्रयुक्त "वृषभां" का अर्थ बैल करते हुये कुअर्थी कहते हैं की इसमें बैल पकाने की बात कही गयी है । जिसका उचित निराकरण करते हुये बताया गया की नहीं ये बैल नहीं है ; इसका अर्थ है ------
हे इंद्रदेव! आपके लिये जब यजमान जल्दी जल्दी पत्थर के टुकड़ों पर आनन्दप्रद सोमरस तैयार करते हैं तब आप उसे पीते हैं।
हे ऐश्वर्य-सम्पन्न इन्द्रदेव! जब यजमान हविष्य के अन्न से यज्ञ करते हुए शक्तिसम्पन्न हव्य को अग्नि में डालते हैं तब आप उसका सेवन करते हैं।
इसमे शक्तिसंपन्न हव्य को स्पष्ट करते हुये बताया गया की वह शक्तिसम्पन्न हव्य "वृषभां" - "बैल" नहीं बल्कि बलकारक "ऋषभक" (ऋषभ कंद) नामक औषधि है ।
लेकिन दुर्बुद्धियों को यहाँ भी संतुष्टि नहीं और अपने अज्ञान का प्रदर्शन करते हुये पूछते है की ऋषभ कंद का "मार्केट रेट" क्या चल रहा है आजकल ?????
अब दुर्भावना प्रेरित कुप्रश्नों के उत्तर उनको तो क्या दिये जाये, लेकिन भारतीय संस्कृति में आस्था व निरामिष के मत को पुष्ठ करने के लिए ऋषभ कंद -ऋषभक का थोड़ा सा प्राथमिक परिचय यहाँ दिया जा रहा है ----
दुर्लभ वैदिक औषधि ॠषभकंद का "निरामिष" पर सहज बोध……
शुक्रवार, 6 जनवरी 2012
प्रथम निरामिष शाकाहार पहेली "निरामिष" ब्लॉग पर
शाकाहार के सभी पक्षों को वैज्ञानिक, स्वास्थ सम्बन्धी, धार्मिक, मानवीय विश्लेषण करके तथ्यों के प्रकाश में सामने रखने वाले निरामिष ब्लॉग की वर्षगांठ पर एक निरामिष शाकाहार प्रतियोगिता चल रही है। इसी उपलक्ष्य में नियमित पाठकों सर्वश्री सतीश सक्सेना जी, डॉ रूपचन्द शास्त्री जी, राकेश कुमार जी, रेखा जी, वाणी गीत जी, मदन शर्मा जी, तरूण भारतीय जी, सवाईसिंह जी, पटाली द विलेज, संदीप पंवार जी, कुमार राधारमण जी, विरेन्द्र सिंह चौहान, गौरव अग्रवाल, डॉ मोनिका शर्मा, शिल्पा मेहता, आलोक मोहन, प्रश्नवादी का विशेषरूप से आभार व्यक्त किया गया है। मांसाहार के पूर्ण त्याग कर शाकाहार अपनाने के लिये सर्वश्री दीप पांडेय, इम्तियाज़ हुसैन, कुमार राधारमण, और शिल्पा मेहता का अभिनन्दन किया गया है और आपके लिये है एक रोचक पहेली और अनेक पुरस्कार।
'निरामिष' शाकाहार जाग्रति अभियान है जहाँ शाकाहार को समर्पित, विद्वान एवं गम्भीर लेखक-ब्लॉगर योगदान कर रहे है।
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