मंगलवार, 8 अक्तूबर 2019

श्रीराम आपकी सदा ही जय हो !!





हे महावीर ! आप इस प्रकार अनजान की भांति युद्ध क्यों कर रहे है ?
हे राघव ! अब इस दुरात्मा का नाश कीजिये।

मातिल के रूप में समस्त समुदाय की प्रार्थना को स्वीकार कर इक्ष्वाकु कुल शिरोमणि श्रीराघवेन्द्र ने गुरुदेव अगस्त्य द्वारा प्रदत्त ब्रह्मास्त्र का विधिपूर्वक संधान किया कालाग्नि की भाँति प्रदीप्त पंचमहाभूतांश निर्मित वह बाण चला तो मानो भगवान् भास्कर सूर्यवंश दिवाकर राम की कीर्ति को प्रकाशित करने के लिए उस महाबाण के तेज के रूप में  स्वयं ही अवस्थित हो गए।  वह भास्करवर्चस वज्रसार रामबाण महानाद करता हुआ रावण के लिए साक्षात् यम स्वरुप होकर पापात्मा के वक्ष में जा धंसा और  दुरात्मा की आत्मा को उसकी देह से विलग कर पुनः श्रीराघवेन्द्र की शरण उपस्थित हो गया।
दिग्दिगंत हर्षनाद से गुंजायमान हो उठा,  देवगण पुष्पवर्षा कर समस्त जनो सहित समर पराक्रमी दुर्जेय श्रीरामचन्द्र के समक्ष नतग्रीव हो बोल उठे
हे राघव आपकी जय हो !
हे श्रीरामचन्द्र आपकी जय हो !
हे रिपुञ्जय,  हे स्थिरप्रज्ञ, महाप्रतापी,
रघुकुलराज नंदन श्रीराम आपकी सदा ही जय हो !!