ओ पथिक संभलकर जइयो उस देश
महा ठग बैठ्यो है धार ग्वाल को भेष
टेढ़ी टेढ़ी चाल चले,अरु चितवन है टेढ़ी बाँकी
महा ठग बैठ्यो है धार ग्वाल को भेष
टेढ़ी टेढ़ी चाल चले,अरु चितवन है टेढ़ी बाँकी
टेढ़ी हाथ धारी टेढ़ी तान सुनावे बांसुरी बाँकी
तन कारो धार्यो अम्बर पीत,अरु गावे मधुर गीत
बातन बतरावे मधुर मधुर क्षण माहि बने मन मीत
सारो भेद खोल्यो मैं तेरे आगे,पहचान बतरायी है
अमित मन-चित हर लेत वो ऐसो ठग जग भरमाई है
तन कारो धार्यो अम्बर पीत,अरु गावे मधुर गीत
बातन बतरावे मधुर मधुर क्षण माहि बने मन मीत
सारो भेद खोल्यो मैं तेरे आगे,पहचान बतरायी है
अमित मन-चित हर लेत वो ऐसो ठग जग भरमाई है
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पुनः प्रकाशित
मुझे आपकी कविता की भाषा बहुत अच्छी लगी,लिखा तो अच्छा है ही.
जवाब देंहटाएंबधाई अमित जी.
क्या खूबसूरत कविता है...आंचलिक भाषा में.
जवाब देंहटाएंबस आनंद आ गया.
वाकई में ठग है मगर एक बार मिलने का दिल तो करता है अमित !!
जवाब देंहटाएं"टेढ़ी टेढ़ी चाल चले,अरु चितवन है टेढ़ी बाँकी
जवाब देंहटाएंटेढ़ी हाथ धारी टेढ़ी तान सुनावे बांसुरी बाँकी"
टेढ़ापन और बाँकपन भी किसी किसी को ही सोहता है, फ़िर इस महाठग की तो हर छट निराली है।
ऐसी खूबसूरत पँक्तियाँ रचने वाले को बहुत बहुत शुभकामनायें, बधाईयाँ।
बहुत दिनों बाद आये. लेकिन बहुत बढ़िय़ा रचना लेकर आये.
जवाब देंहटाएंसुंदर सुंदर प्यारी प्यारी सी ठगती सी रचना ,जिसने मन को ही ठग लिया .जय बांकेबिहारी ,मुरलीमनोहर,कृष्ण कन्हैया की .
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गीत, गीत नही भजन कहूंगा, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना है ! जय जय श्री राधे
जवाब देंहटाएंसबका दिल हर लेत है, बिन मोल।
जवाब देंहटाएंवाह ऐसो ठग संग कौन नही ठगा चाहेगा
जवाब देंहटाएंअत्यंत सुन्दर एवं प्रभावित करने वाली काव्य-रचना|प्रथम से अंतिम पंक्ति तक भाव एवं भक्ति की मोहक-मंजुल छटा| काव्य-रस-लोलुपों के लिए लुब्ध्कारी एवं अमित आनंददायक|साधुवाद अमित जी !
जवाब देंहटाएं-अरुण मिश्र.
Bahot sahi likha hai sir ji...maja aa gaya..
जवाब देंहटाएंटेढ़ी टेढ़ी चाल चले,अरु चितवन है टेढ़ी बाँकी
जवाब देंहटाएंटेढ़ी हाथ धारी टेढ़ी तान सुनावे बांसुरी बाँकी
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वाह बहुत खूब. जयपुर मैं गुज़ारे दिन याद गए
जय हो!
जवाब देंहटाएंऐसा ठग अगर मिल जाए तो......
जवाब देंहटाएं"पीताम्बर स्याम तन पे बाँसुरिया ओंठन पे
सुध-बुध बिसराए जो सुनाये ऐसी तान प्यारी !
तन-मन की सुध न रही मैं तो दिल हार गई
पूनम ऐसो ठगवा पे जाऊं बार-बार वारी !!"
सुन्दर वर्णन.....
भावपूर्ण-मनमोहिनी रचना....
दैहिक सुन्दरता ने आँखों को ठगा.
जवाब देंहटाएंमधुर बंसी धुन और वचनों के माधुर्य ने कानों को ठगा.
......... ऐसे महाठग कृष्ण मेरी बुद्धि को तो स्वतः ही ठग लेते हैं.. जब उनके चिंतन का 'गीता' रूप में स्वाध्याय करता हूँ.
bahut hi pyari man mugdh karne vaali kavita.god bless you.
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावपूर्ण-मनमोहिनी रचना| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंआह्लादक!!
जवाब देंहटाएंआभार
निरामिष: शाकाहार : दयालु मानसिकता प्रेरक
बहुत प्यारा वर्णन है ,अनायास ही अधर मुस्कुरा पड़े.
जवाब देंहटाएंजय श्री कृष्णा....
जवाब देंहटाएंभाई साहब !आभार एक बार फिर पढवाने के लिए....
कुंवर जी
होली की हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंप्रिय अमित भाई
जवाब देंहटाएंस्नेहसिक्त नमस्कार !
लंबी अनुपस्थितियों के बाद आज आपके यहां पहुंचने पर पाया कि बहुत कुछ खोया है मैंने …
आनन्द का ख़ज़ाना यहां तो खुला पड़ा है , जिसकी प्यास लिये' कोई मथुरा , कोई काशी , कोई वृंदावन , कोई पुरि तलाश में भटकता रहता है ।
ओ पथिक संभलकर जइयो उस देश
महा ठग बैठ्यो है धार ग्वाल को भेष
अमित भाई ,आपने कृष्ण के प्रति प्रेम और भक्ति के जो उद्गार व्यक्त किए हैं …
सच मानें , आकंठ डूब गया हूं मैं !
तन कारो धार्यो अम्बर पीत,अरु गावे मधुर गीत
बातन बतरावे मधुर मधुर क्षण माहि बने मन मीत
आहाऽऽह !
आपकी लेखनी से ऐसी सुंदर रचनाएं सृजित होती रहें … और मुझ जैसों को आत्मिक तृप्ति मिलती रहे ।
आपके यहां आ'कर कौन विमुग्ध नहीं हो जाएगा ?
हार्दिक बधाई !
♥ होली की शुभकामनाएं ! मंगलकामनाएं !♥
होली ऐसी खेलिए , प्रेम का हो विस्तार !
मरुथल मन में बह उठे शीतल जल की धार !!
- राजेन्द्र स्वर्णकार
अमित जी उस महाठग की कृपा आप पर बनी रहे इसी कामना के साथ आपको और आपके परिजनों को होली की बहुत बहुत शुभकामनाये और बधाई.
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