तीज तीवाराँ बावड़ी ले डूबी गणगौर .................. राजस्थान में यह कहावत प्रचलित है, जिसका मतलब है की श्रावणी तीज अपने साथ त्योंहारों की शुरुवात लेकर आती है, तो छै महीने बाद आने वाली गणगौर के साथ यह श्रृंखला पूरी होती है. सारे बड़े त्योंहार तीज के बाद ही आते हैं ........ रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, श्राद्ध-पर्व, नवरात्रि, दशहरा, दीपावली का पञ्च-दिवसीय महापर्व जैसे सारे बड़े त्योंहार इसी बीच आतें है.
वैसे तो रंगीला राजस्थान हमेशा से ही तीज-त्यौहारों, रंग-बिरंगे परिधानों, मेलों, उत्सवों और अपनी जीवन्तता के लिए प्रसिद्ध रहा है, फिर भी तीज का त्यौहार राजस्थान के लिए एक अलग ही उमंग लेकर आता है, नयी नयी उमीदें लेकर आता है. बरसात का महत्व यूँ तो सभी के लिए है चाहे वह कोई भी देश हो या कोई भी प्राणी. परंतु मरुभूमि के लिए तो पानी अमृत के समान है. ऐसे में जब महीनों से तपती हुई मरुभूमि में रिमझिम करता सावन आता है तो वह निश्चित ही किसी उत्सव से कम नहीं होता. सावन का यह मुद्दा जब पूरे प्रदेश की सुख समृद्धि से जुड़ा हो तब सावन की ऋतु मरू प्रदेश के लिए और भी अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाना स्वाभाविक ही है. सावन की इस बरसात पे ही तो टिकी होती है मरू प्रदेश की हर आस, फिर चाहे बात खेती-बाड़ी की हो या रोजमर्रा की जरूरतों और पीने के पानी की. तभी तो सावन के आगाज़ के साथ ही शुरू होती है विभिन्न देवी देवताओं से अच्छी बरसात और अच्छी फसल की प्रार्थनाएं. तभी तो आसमान से टपकती हर एक बूँद आनंद और मस्ती की हिलोरों से सराबोर कर देती है मरुभूमि के जन सामान्य से लेकर पशु-पक्षी और पेड़-पौधों तक को. तभी तो पूरा सावन ही एक पर्व, एक उत्सव, एक त्यौंहार बन पड़ता है. पानी के रूप में आसमान से बरसता ये अमृत जैसे ही रेत के धोरों को स्पर्श करता है तो गीली मिटटी की सौंधी गंध के साथ साथ रेतीले धोरे पुकार उठते हैं... केसरिया बालम, आवो नी पधारो म्हारे देस.
श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन श्रावणी तीज, हरियाली तीज मनायी जाती है इसे मधुस्रवा तृतीय या छोटी तीज भी कहा जाता है. इस वर्ष यह त्यौहार 2 अगस्त 2011, दिन मंगलवार के दिन मनाया जाएगा. जिसमें सावन के आते ही चारों ओर मनमोहक वातावरण की सुंदर छटा फैल जाती है. प्रकृति नवयौवन रूप लिए अवतरित होती दिखाई देती है.
श्रावण माह के शुक्ल पक्ष में तृतिया तिथि को महिलाएं हरियाली तीज के रुप में मनाती हैं इस समय वर्षा ऋतु की बौछारें प्रकृति को पूर्ण रूप से भिगो देती हैं बरसात अपने चरम पर होती है प्रकृति में हर तरफ हरियाली की चादर सी बिछी होती है और इसी कारण से इस त्यौहार को हरियाली तीज कहा जाता है.
तीज के एक दिन पहले (द्वितीया तिथि को) विवाहित स्त्रियों के माता-पिता (पीहर पक्ष) अपनी पुत्रियों के घर (ससुराल) सिंजारा भेजते हैं. विवाहित पुत्रियों के लिये भेजे गए उपहारों को सिंजारा कहते हैं, जो कि उस स्त्री के सुहाग का प्रतीक होता है. बिंदी, मेहंदी, सिन्दूर, चूड़ी, घेवर, लहरिया की साड़ी, ये सब वस्तुएँ सिंजारे के रूप में भेजी जाती हैं. सिंजारे के इन उपहारों को अपने पीहर से लेकर, विवाहिता स्त्री उन सब उपहारों से खुद को सजाती है, मेहंदी लगाती है, तरह-तरह के गहने पहनती हैं, लहरिया साड़ी पहनती है और तीज के त्यौंहार का अपने पति और ससुराल वालों के साथ खूब आनंद मनाती है.
सावन के महीने में और विशेष रूप से तीज के त्यौंहार के दिन प्रत्येक स्त्री रंग बिरंगी लहरिया की साड़ियां पहने ही सब तरफ दिखाई पड़ती हैं. तीज के इस त्यौहार पर बनाई और खाई जाने वाली विशेष मिठाई घेवर है. जयपुर का घेवर विश्व प्रसिद्ध है. झूला, लहरिया की साड़ी और घेवर के बिना तीज का त्यौंहार अधूरा है.
पहले पंद्रह पंद्रह दिन पहले पेड़ों पर झूले डल जाते थे, पर अब तो कहीं देखने में भी नहीं आते. ना तो वह उमंग बची है ना समय ............... खैर फिर भी एक दिन के लिए ही सही जब स्त्रियाँ लहरिया पहन कर सजतीं है और घर में पकवानों विशेषकर खीर और घेवर का स्वाद लिया जाता है तो सावन मन के अन्दर गहरे तक उतर आता है.
गोरे
कंचन गात पर अंगिया रंग अनार।
लैंगो सोहे लचकतो, लहरियो लफादार।।
लैंगो सोहे लचकतो, लहरियो लफादार।।
राजस्थान की राजधानी जयपुर में तीज के त्यौहार का विशेष महत्व है. जयपुर में यह त्यौहार बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाता है व तीज की सवारी निकाली जाती है. पूरा शहर सांस्कृतिक वातावरण से परिपूर्ण हो जाता है. स्रियां सवारी में लोकगीत की झड़ी लगा देती है. श्रावणी तीज के अवसर पर जयपुर में लगने वाला यह मेला अपना एक विशिष्ट स्थान रखता है. इस दिन जनानी ड्योढ़ी से पूजा अर्चना के बाद पूरे लवाजमें के साथ तीज माता की सवारी निकाली जाती है. यह सवारी त्रिपोलिया बाजार, छोटी चौपड, गणगौरी बाजार और चौगान होते हुए पाल का बाग़ पहुंचकर विसर्जित होती है. सवारी को देखने के लिये रंग बिरंगी पोशाकों से सजे ग्रामीणों के साथ ही भारी संख्या में विदेशी पर्यटक भी आते है.
कुछ समय चुराकर आपके साथ तीज-पर्व का आनंद साझा करने की कोशिश की है,
जल्दी में कुछ विशेष जानकारियां, सुरुचि पूर्ण चित्रावलियाँ और जयपुर तीज
माता की शाही सवारी के वीडियो लगाने के लोभ को मन में ही दबाना पड़ रहा है,
पर इस लिंक के जरिये आप कुछ आनंद उठा सकते हैं .( शब्द और चित्र सामग्री गूगल से साभार )
बेहद ज्ञानवर्धक तीज के त्योहार की जानकारी!!
जवाब देंहटाएंसार्थक!! तीज से प्रारंभ सभी त्योहारों की शुभकामनाएं
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जवाब देंहटाएंसंस्कृति की महक और अच्छी जानकारियाँ भरपूर लेख.....
इस राजस्थानी भाई की ओर से भी तीज से प्रारंभ सभी त्योहारों की ढेर सारी शुभकामनाएँ
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तीज की शुभकामनायें ...घर, गाँव और घेवर की याद दिलाती पोस्ट ....
जवाब देंहटाएंतीजोत्सवस्य महती शुभकामना:
जवाब देंहटाएंरोचक !
जवाब देंहटाएंघेवर बहुत ही अच्छा लगता है।
जवाब देंहटाएंजानकारी का आभार और पर्व की बधाई!
जवाब देंहटाएंसारे बड़े त्योंहार तीज के बाद ही आते हैं ........ रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, श्राद्ध-पर्व, नवरात्रि, दशहरा, दीपावली का पञ्च-दिवसीय महापर्व जैसे सारे बड़े त्योंहार इसी बीच आतें है.
जवाब देंहटाएं@ मैंने भी मान लिया कि तीज के बाद से ही बड़े ब्लोगरों का पदार्पण होता है... रक्षाबंधन, जन्माष्टमी....अब से सभी त्योहारों पर प्रतीक्षा रहा करेगी.
आजकल मन को प्रिय लगने वाले लोग भी त्योहारों की तरह आने लगे हैं... अपना महत्व महसूस करवाने लगे हैं.
वैरी गुड जानकारी जी।
जवाब देंहटाएंसांस्कृतिक जानकारी से भरी रंगारंग पोस्ट।
हैप्पी बड्डे :))
जवाब देंहटाएंइस सांस्कृतिक यात्रा -अवसर के लिए आभार
जवाब देंहटाएंओह , मैं आने में लेट हो गया :(
जवाब देंहटाएंhttp://www.youtube.com/watch?v=ujtCB4OC0hc
जवाब देंहटाएं~~~~~~~जन्मदिवस की हार्दिक बधाई ~~~~~~~जन्मदिवस की हार्दिक बधाई~~~~~~~जन्मदिवस की हार्दिक बधाई~~~~~~~जन्मदिवस की हार्दिक बधाई~~~~~~~जन्मदिवस की हार्दिक बधाई~~~~~~~जन्मदिवस की हार्दिक बधाई~~~~~~~जन्मदिवस की हार्दिक बधाई~~~~~~~जन्मदिवस की हार्दिक बधाई~~~~~~~जन्मदिवस की हार्दिक बधाई~~~~~~~
http://www.youtube.com/watch?v=wFh-rX_Sfhs
May your birthday bring you lot of happiness,good health and lot of cheers with friends and loved ones
जवाब देंहटाएंsanskruti se jodtee us par prakash daaltee post acchee lagee.
जवाब देंहटाएंAabhar
राजस्थानी संस्कृति का सजीव प्रस्तुतीकरण .आभार .
जवाब देंहटाएंamit ji aap ka prayas bhot accha aap par shri shri ji maharaj or thakur ji ke kerpa hamsa bani raha
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