कहा जाता है कि ''पानी ही जीवन है'', लेकिन विडंबना देखिये कि पानी के कारण जीवन की हानि होना भी शुरू हो गया है, किसी ने सही ही कहा हैं कि तीसरा महायुद्ध पानी को लेकर ही होगा. हाल कि बनती हुयी परिस्थिति में हम देख सकते हैं कि इस महायुद्ध की पूर्व तैयारिया चालू हो गयी है और, छोटी छोटी घटनाओ से इसका आभास मिलने लगा है.
कल जयपुर के जयसिंहपुरा खोर इलाके में टैंकर से पानी भरने की आपाधापी से उठे विवाद में एक महिला ने एक अन्य महिला और उसके बेटे पर तलवार से वार कर दिया जिससे उस महिला का अंगुठा कट गया और, उसके बेटे को भी कई जगह चोटे आयीं है.
पिछले दिनों इंदौर में एक व्यक्ति ने पानी के विवाद में 18 वर्षीय पूनम की हत्या कर दी. ये लड़की इंदौर के सर्राफ़ा क्षेत्र में नल से पानी भर रही थी, तभी पानी भरने को लेकर उसकी लड़ाई पड़ोसी हुकुस गौड़ से हो गई. विवाद इतना बढ़ा की गौड़ ने चाकू से पूनम की हत्या कर दी.
यह तो सिर्फ उल्लेख भर है पानी की लड़ाई का हालात इतने भयावह हो चुके है की अंदाजा लगाना मुश्किल है. करीब करीब रोज ही इस तरह की ख़बरें पढने सुनने को मिल रही है. जगह जगह पानी के लिए धरने प्रदर्शन और इन प्रदर्शनों के दौरान A.E.N., J.E.N. को बांध देना उनके साथ मार-कुटाई रोजमर्रा के काम हो गए है.
लेकिन क्या इस भयावह समस्या के लिए हम ही लोग जिम्मेदार नहीं है ?? इस संकट के 70 फीसदी कारण मानव निर्मित है. सूखे के लिए प्रारंभी तौर पर हम ही जिमेदार है क्योंकि सालों से हम पानी की अंधाधुन्द बर्बादी कर रहे है.नहाने में दो तीन बाल्टी ढ़ोलें बिना मजा नहीं आता, शॉवर के नीचे खड़े-खड़े नहाते हुए पानी बहाने में व्यक्ति का अहम् संतुस्ठ होता है बहते पानी में उसे अपनी रहिसायी झलकती दिखती है, यूरोपियन कमोड पानी की बर्बादी का सबसे बड़ा कारण बन रहा है, एक बार फारिग होने का मतलब गया 15-20 लीटर पानी खड्डे में. हम में से कितने ही लोग है जिन्हें पाइप की मोटी धार से गाड़ी धोये बिना चैन नहीं आता. राजस्थान जैसे सुखा-ग्रस्त राज्य में गोल्फ को बढ़ावा दिया जा रहा है, 18 होल वाले एक गोल्फ कोर्स में रोजाना इतने पानी का इस्तेमाल होता है, जितने से लगभग बीस हज़ार घरों की जरुरत पूरी की जा सकती है. जल के अत्यधिक दोहन से कुएं व नलकूप जवाब देने लग गए है। गहराते जलस्तर से धरती की कोख सूखती जा रही है। लोगों को पेयजल के लिए परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
लोगों को पानी के लिए दूर-दूर तक भटकना पड़ रहा है। आने वाले समय को देखते हुए हमें अभी से जल संरक्षण का प्रयास करना होगा। जल की बूंद-बूंद कीमती है। हमें जल के महत्व को समझना होगा।
* ब्रश करते समय नल को खुला नहीं रखे, मग में पानी लेकर ब्रश करें
* वाहन को पाइपलाइन से सीधे धोने के बजाय बाल्टी में पानी लेकर साफ करें
* वाल्व से रिछते पानी को बंद करवाएं
* बाथ टब में नहाने के बजाय बाल्टी में पानी लेकर कम पानी से नहाएं
* बारिश के पानी का संरक्षण करें
* बगीचे में नल को खुला नहीं छोड़ें
(आजकल छत के पानी के संरक्षण के लिए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अपनाने पर भी जोर दिया जा रहा है. लेकिन एक नजर यहाँ भी देख लेना उचित होगा. कहीं अनजाने में ही हम अनर्थ ना कर रहें हो. )
कल जयपुर के जयसिंहपुरा खोर इलाके में टैंकर से पानी भरने की आपाधापी से उठे विवाद में एक महिला ने एक अन्य महिला और उसके बेटे पर तलवार से वार कर दिया जिससे उस महिला का अंगुठा कट गया और, उसके बेटे को भी कई जगह चोटे आयीं है.
पिछले दिनों इंदौर में एक व्यक्ति ने पानी के विवाद में 18 वर्षीय पूनम की हत्या कर दी. ये लड़की इंदौर के सर्राफ़ा क्षेत्र में नल से पानी भर रही थी, तभी पानी भरने को लेकर उसकी लड़ाई पड़ोसी हुकुस गौड़ से हो गई. विवाद इतना बढ़ा की गौड़ ने चाकू से पूनम की हत्या कर दी.
यह तो सिर्फ उल्लेख भर है पानी की लड़ाई का हालात इतने भयावह हो चुके है की अंदाजा लगाना मुश्किल है. करीब करीब रोज ही इस तरह की ख़बरें पढने सुनने को मिल रही है. जगह जगह पानी के लिए धरने प्रदर्शन और इन प्रदर्शनों के दौरान A.E.N., J.E.N. को बांध देना उनके साथ मार-कुटाई रोजमर्रा के काम हो गए है.
लेकिन क्या इस भयावह समस्या के लिए हम ही लोग जिम्मेदार नहीं है ?? इस संकट के 70 फीसदी कारण मानव निर्मित है. सूखे के लिए प्रारंभी तौर पर हम ही जिमेदार है क्योंकि सालों से हम पानी की अंधाधुन्द बर्बादी कर रहे है.नहाने में दो तीन बाल्टी ढ़ोलें बिना मजा नहीं आता, शॉवर के नीचे खड़े-खड़े नहाते हुए पानी बहाने में व्यक्ति का अहम् संतुस्ठ होता है बहते पानी में उसे अपनी रहिसायी झलकती दिखती है, यूरोपियन कमोड पानी की बर्बादी का सबसे बड़ा कारण बन रहा है, एक बार फारिग होने का मतलब गया 15-20 लीटर पानी खड्डे में. हम में से कितने ही लोग है जिन्हें पाइप की मोटी धार से गाड़ी धोये बिना चैन नहीं आता. राजस्थान जैसे सुखा-ग्रस्त राज्य में गोल्फ को बढ़ावा दिया जा रहा है, 18 होल वाले एक गोल्फ कोर्स में रोजाना इतने पानी का इस्तेमाल होता है, जितने से लगभग बीस हज़ार घरों की जरुरत पूरी की जा सकती है. जल के अत्यधिक दोहन से कुएं व नलकूप जवाब देने लग गए है। गहराते जलस्तर से धरती की कोख सूखती जा रही है। लोगों को पेयजल के लिए परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
लोगों को पानी के लिए दूर-दूर तक भटकना पड़ रहा है। आने वाले समय को देखते हुए हमें अभी से जल संरक्षण का प्रयास करना होगा। जल की बूंद-बूंद कीमती है। हमें जल के महत्व को समझना होगा।
* ब्रश करते समय नल को खुला नहीं रखे, मग में पानी लेकर ब्रश करें
* वाहन को पाइपलाइन से सीधे धोने के बजाय बाल्टी में पानी लेकर साफ करें
* वाल्व से रिछते पानी को बंद करवाएं
* बाथ टब में नहाने के बजाय बाल्टी में पानी लेकर कम पानी से नहाएं
* बारिश के पानी का संरक्षण करें
* बगीचे में नल को खुला नहीं छोड़ें
(आजकल छत के पानी के संरक्षण के लिए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अपनाने पर भी जोर दिया जा रहा है. लेकिन एक नजर यहाँ भी देख लेना उचित होगा. कहीं अनजाने में ही हम अनर्थ ना कर रहें हो. )
चेतना तो अब हमें पड़ेगा ही क्योंकि आने वाले भयानक संकट की पूर्वाभासी घटनाएँ घटने लगी है. इससे पहले की यह शमां बुझे चेत जाइये
ekdam samayik lekh.Delhi ka pani bhi hamare Jat Bhaiyon ne rok liya hai. Pani ko hathiyar banane ka naya prayog.
जवाब देंहटाएंplz dont spread superstitions
जवाब देंहटाएंसुन्दर आलेख है. एकाध सुझाव:
जवाब देंहटाएंकपडे धोने से बचे साबुन के पानी का प्रयोग पोछा लगाने के लिए और कूलर या RO जलशोधक से बचे पानी को पौधों में वापस डाला जा सकता है.
चेतना तो अब हमें पड़ेगा ही क्योंकि आने वाले भयानक संकट की पूर्वाभासी घटनाएँ घटने लगी है. इससे पहले की यह शमां बुझे चेत जाइये
जवाब देंहटाएंक्या पता चेतने से पहले शमा बुझ ही जाये ....
कहा जा रहा है २०१२ में दुनिया खत्म होने वाली है ....????
सामयिक एवं सार्थक पोस्ट.....वाकई यदि अब भी न चेते तो आने वाले कल की जो तस्वीर होगी, उसकी कल्पना करके ही मन सिहर उठता है.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी और शानदार पोस्ट....
जवाब देंहटाएंपानी को बचाने की आदत तो डालनी ही पड़ेगी। बढिया आलेख, बधाई।
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही कहा आपने
जवाब देंहटाएंघटनाओं के उल्लेख ने इस बात को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया है
इस पोस्ट के लिए धन्यवाद
उपयोगी सुझाव दिये हैं आपने!
जवाब देंहटाएंकहा ही जाता रहा है कि तीसरा विश्वयुद्ध पानी के कारण होगा ...चेतना तो होगा ही ...!!
जवाब देंहटाएंजनसंख्या कम किये बगैर कोई योजना परवान नहीं चढ़ने वाली..
जवाब देंहटाएंसामयिक एवं सार्थक पोस्ट.....
जवाब देंहटाएंपानी को बचाने की आदत तो डालनी ही पड़ेगी। बढिया आलेख, बधाई।
जवाब देंहटाएंBahut achha likha hai !
जवाब देंहटाएं'Jal hi jeevan hai '
बहुत अच्छी और बढिया पोस्ट
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