बुधवार, 30 जून 2010

सजन




इतनी दिल्लगी सजन यूँ किया ना किजिये
दिल लगाया है आप से  दुखाया ना कीजिये

कब चाहा है हमने पहलू में ही बैठा कीजिये
बस नज़रें इनायत उडती सी  ही कर दीजिये

मर्जी  जो है आपकी नाम ना लेंगे कभी जुबां से 
क्या करियेगा जब लोग सुनेंगे कब्र की फिजां में

साखी क्या दूँ  इस बात की  बिन तुम्हारे ना जियेंगे 
अमित प्रेम हमारा दास्ताँ कियामत तक लोग कहेंगे  

18 टिप्‍पणियां:

  1. भाई वाह,आपका यह रंग बाकि था।

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  2. कब चाहा है हमने पहलू में ही बैठा कीजिये
    बस नज़रें इनायत उडती सी ही कर दीजिये

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  3. अजी वाह,
    बड़ा खूबसूरत दिल है(तस्वीर वाला भी) और वैसे ही ख्यालात हैं। आज नया पहलू देखा आपके व्यक्तित्व का।
    महाराज, अभी ये हाल है तो सावन में क्या होने वाला है?

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  4. कब चाहा है हमने पहलू में ही बैठा कीजिये
    बस नज़रें इनायत उडती सी ही कर दीजिये

    -वाह! क्या तसल्ली है..उम्दा!

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  5. इसकी अनगढ़ता ही इसकी निश्च्छलता और अंदाजे बयाँ की ईमानदारी बता रही है -क्या कहने!

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  6. वाह अमित जी लूट लिया है आपके इस अन्दाज़ेने बयां ने

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  7. वाह अमित जी लूट लिया है आपके इस अन्दाज़ेने बयां ने

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  8. वाह.. वाह अमितजी आपने तो दिल लूट लिया। आनन्द आ गया।

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  9. @ सुज्ञ जी, विपुलजी, मो सम जी ......................
    रंग तो बाकि बहुत थे मौसम में सतरंग बनाते
    जल रहे है गर्मीं से वर्ना सावन में आग लगाते

    @ समीरलाल जी, अरविन्द जी, रितुपर्णजी, सोनीजी...............
    हमने तो तसल्ली बहुत दी है हमारे अनगढ़ मन को
    पर क्या करें आप का जिन्होंने एक वाह से लुटा हमको

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  10. एक तो आप रचना बड़ी ही सुन्दर लिख दिए हैं
    ऊपर से फोटू भी बहुत ही सुन्दर लगा दिए हैं
    हमरी छोटी सी डिक्सनरी में कौनो शब्द ही नहीं मिल रहा है जो कछु बढ़िया सा लिख देते
    आप ही बताइए का करें हम ????

    इ तो बहुत सुन्दर लगा रहा है , दिल से कह रहें हैं भैया

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  11. एक तो आप रचना बड़ी ही सुन्दर लिख दिए हैं
    ऊपर से फोटू भी बहुत ही सुन्दर लगा दिए हैं
    हमरी छोटी सी डिक्सनरी में कौनो शब्द ही नहीं मिल रहा है जो कछु बढ़िया सा लिख देते. अरे तारीफ़ के वास्ते ही तो .
    आप ही बताइए का करें हम ????

    इ तो बहुत सुन्दर लगा रहा है , दिल से कह रहें हैं भैया

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  12. हमें तो मालूम ही नहीं था कि आप ये हुनर भी रखते हैं :)
    बहुत बढिया प्रस्तुति!

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  13. अब क्या कहे जी!!!!!!!! लूट ही लिया है आपने सच में
    अबके सावन में तो आग लगा ही दीजिये

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  14. आपकी यह अदा भा क्या गयी मार गयी है

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  16. राम राम जी....

    ब्लॉग का नया रूप भी मस्त...चित्र में भी सब मिलते ही दिख रहे है.....बाकी सब हृदय रूप में है फिर ये दुविधात्मक शिकायतें कैसी भाई साहब....?

    कुंवर जी,

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