ओ माँ क्या तुम झूंठ बोलती थी
तुमने कहा था दुनिया बड़ी प्यारी है
कहा था यहाँ खिली प्रेम की क्यारी है
पर मुझे तो हर बात दिखती न्यारी है
हर और फैली नफरत और गद्दारी है
ओ माँ क्या तुम झूठ बोलती थी
तुमने कहा था प्रेम की नदी यहाँ बहती है
मगर देखा नदी इंसां के लहू की बहती है
तुमने बताया था कण-कण में भगवान् है
लोग कहते बुत में काबे में क्या नादान है
ओ माँ क्या तुम झूंठ बोलती थी
नहीं माँ मुझे विश्वास नहीं होता इसका
ओ दुनिया वालो तुम जवाब दो इसका
बतलादो मुझको मेरी माँ सच कहती थी
बिगाड़ी हमने बात वर्ना माँ सच कहती थी
बिगाड़ी हमने बात वर्ना माँ सच कहती थी
जवाब देंहटाएंaaj aapka yeh roop bhi dikhayi diya
sach men maa matlab prakati hame accha hi janm deti hai lekin ham hi is duniya ko bigad baite h
माँ ने तो सही कहा था , लेकिन बदलते समय ने इसको झूठला दिया ।
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति, उचित समय पर। बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंवैसे ईश्वर ना बुतों में है और ना काबा शरीफ में। उसकी शक्ति तो हर जगह है, देखने वाला चाहिए।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबिगाड़ी हमने बात वर्ना माँ सच कहती थी ……………………सही कहा।
मां भला झूठ बोल सकती है .. हमने खुद बिगाड दी है तो वे क्या करे ??
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी लगी यह कविता....
जवाब देंहटाएंमाँ का क्या है, झूठ बोल सकती हैं !! :)
जवाब देंहटाएं.
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माँ की ही सुनें, स्वर्गादपि गरीयसी.
मां ने तो सच ही बोला था लेकिन हमने क्या से क्या कर दिया..
जवाब देंहटाएंझूठ भला माँ क्यों कहे, है दुनिया सौगात।
जवाब देंहटाएंमगर दरिन्दों ने यहाँ बदल दिए हालात।।
सुन्दर भाव की प्रस्तुति अमित जी। वाह।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
kya kabhi mata bhi kumata huyi hai jo apne bachhon se jhut bolegi, ye to putra hi kuputra ho gaye hai
जवाब देंहटाएंandar tak chulene wale bhaaw!
बिगाड़ी हमने बात वर्ना माँ सच कहती थी --- भावपूर्ण अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंsundar Amit ji...
जवाब देंहटाएंमां ने तो सच ही बोला था लेकिन हमने क्या से क्या कर दिया.. बहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन रचना । सच कहा आपने मां तो यही कहती थी , मगर आज कितनी बदल गई है दुनिया , मां का कहा भी झुठला रही है
जवाब देंहटाएंबिगाड़ी हमने बात वर्ना माँ सच कहती थी
जवाब देंहटाएंsundar Amit
बिगाड़ी हमने बात वर्ना माँ सच कहती थी ....
जवाब देंहटाएंbilkul sahi kaha aapne
Thanks a lot :)
तुमने बताया था कण-कण में भगवान् है
जवाब देंहटाएंलोग कहते बुत में काबे में क्या नादान है
bilkul log nadan hai, nahi to itna jhagda hi kyon failta????
मां ने तो सच ही बोला था लेकिन हमने क्या से क्या कर दिया.. + 1
जवाब देंहटाएंमाँ ने इसलिए ऐसा बताया था कि जब भी तुम कोई काम करो तो इतना याद रखो कि काम ऎसी ही दुनिया बनाने के लिए करना है ,सिक्के के दूसरे पहलू पर स्यापा करने नहीं बैठना है
जवाब देंहटाएंअगर आपकी नजर में कोई सोरायसिस का मरीज हो तो हमारे पास भेजिए ,हम उसका फ्री ईलाज करेंगे दो महीने हमारे पास रहना होगा
www.sahitya.merasamast.com
Apke nichal man ko darshati bahvavyakti
जवाब देंहटाएंअमित जी इस बार फिर से अपने अपनी लेखकीय प्रतिभा का परिचय दे दिया। ब्लॉग पर लिखी पहली कविता के लिए बधाई। इसकी टी आर पी ऊपर पंहुचा दूँ क्या...... अपने इस्टाइल से......
जवाब देंहटाएंअरे नहीं आपको ओछे तरीको की जरुरत नहीं है। आप में जबर्दस्त प्रतिभा है और वही काफी है। मेरे वाला तरीका तो मेरे जैसों के लिए ही ठीक है। एक बार फिर से बधाई।
जवाब देंहटाएंमाँ तो हमें अपने समय की दुनिया के बारे में बताती होगी?
जवाब देंहटाएंजय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड
माँ ने तो सच ही कहा था.....पर वक्त बदल गया ,लोगों की मानसिकता बदल गयी.....बहुत अच्छी रचना...बधाई
जवाब देंहटाएंmaa , aap sach kehti thee...Ye duniya kitni sundar hai...mujhe iss duniya mein rehna achha lagta hai...yahan blogs hain...bloggers hain....
जवाब देंहटाएंमाँ तो सच ही कहती है ..... इसमें दोष तो हम जैसो का ही है .....अच्छी प्रस्तुति ...सुन्दर रचना .....कुछ सत्य भी
जवाब देंहटाएंhttp://athaah.blogspot.com/
सरल अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंदिल को छु गई
माँ कब झूठ कहती है भला..बस, माँ जिस तरफ से दुनिया देख रही थी, उसी तरफ से देखो. लगता है दूसरी तरफ चले गये बड़े होते ही. माँ ने हमेशा उजला पहलु ही दिखाया..और वो ही पहलु तुम्हारे लिए उसकी दुआओं में होगा.
जवाब देंहटाएं-बढ़िया अभिव्यक्ति!!
BAHUT KHUB
जवाब देंहटाएंBADHAI AAP KO IS KE LIYE
माँ ने तो सच ही कहा था.....बहुत अच्छी रचना...बधाई
जवाब देंहटाएंकविता में भी वही चेतना वही हुंकार,वही वयंग्य की धार,थोड़ी सी जग को दुत्कार और फिर माँ का दुलार....!
जवाब देंहटाएंलेकिन भला माँ झूठ क्यों बोलेगी भाई....?
कुंवर जी,
बढ़िया प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमाँ के पक्ष को सही साबित करने के लिए आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता है...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर कविता
जवाब देंहटाएंmaa ne to nirmal sansar diya tha insa ko
जवाब देंहटाएंapne vikaro se badal diya is laalch ke but ne.
Amit ji pahli baar apko padha...achha laga. shukriya.badhayi.
माँ हमेशा सच कहती है पर क्या करें माँ और दुनियां की नजरों मे फर्क है बस और कुछ नहीं
जवाब देंहटाएंकब बीता कविता का वितान
जवाब देंहटाएंना तृप्त हुए मन और कान.
था कैसा कविता का विमौन
मैं देख रहा चुपचाप कौन
आया उर में श्रोतानुराग
जो छीन रहा मेरा विराग
करपाश बाँध रंजित विशाल
भावों का करता है शृंगार
तुर चीर अमा का अन्धकार
लाया उर में जो प्रेमधार.
[अमित जी के प्रति पनपा श्रोतानुराग]