पता नहीं क्या क्या कह जाते है लोग
पता नहीं किस रौ में बह जाते है लोग
कोई आंखन देखी ना कोई कानन सुनी
ज्यादा बहुत देखा देखी ही कहते है लोग
मनचीती रबरबी,मनचाहा कहते है लोग
एक कहे तोड़ो बुतों को,कोई मस्जिद को
कहता कोई असल हमारा इल्म है देखो
कोई कह जाते सब बकवास जला फेंको
क्या सच में सिखलाता कोई रूहानी ग्रन्थ
की यह अपना है और वोह पराये धर्म वाला
सोच "अमित" ,क्या यह ऐसे ही थे सच में
या फिर हमीं ने कर डाला सब गड़बड़झाला
Bilkul Sahi kaha Amit ji.
जवाब देंहटाएं"सोच "अमित" ,क्या यह ऐसे ही थे सच में
जवाब देंहटाएंया फिर हमीं ने कर डाला सब गड़बड़झाला"
बिलकुल सही बाट कही है आपने .
वास्तव में यह गड़बड़झाला हमारा ही किया है, नहीं तो कोई धर्मग्रन्थ नफरत नहीं फैला सकता
kya likhoon, sochn padega..
जवाब देंहटाएं"कोई आंखन देखी ना कोई कानन सुनी
जवाब देंहटाएंज्यादा बहुत देखा देखी ही कहते है लोग"
असल बात तो यही है जी बस!
कुंवर जी,
या फिर हमीं ने कर डाला सब गड़बड़झाला
जवाब देंहटाएंsab hamara hi kiya dhara hai, aapki ek or behtrin abhivakti BADHAI HO !!!!
सोच "अमित" ,क्या यह ऐसे ही थे सच में
जवाब देंहटाएंया फिर हमीं ने कर डाला सब गड़बड़झाला
ऐसे तो नहीं होंगे सच में .. हमने ही किया है गडबडझाला !!
बढ़िया है भई!! सब गड़बड़झाला..
जवाब देंहटाएंbahut khub
जवाब देंहटाएंगडबडझाले को सुलझाने वाले भी तो यहीं है , पर क्यों उनकी आवाज दबी सी है
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही कहा आपने....
जवाब देंहटाएंपता नहीं क्या क्या कह जाते है लोग
जवाब देंहटाएंपता नहीं किस रौ में बह जाते है लोग
sachmuch logon ko pata hi nahi ki use kya kahna chaye or kya kah jate h
bahut khub
हमीं ने करा है जी गड़बड़झाला।
जवाब देंहटाएं@ गडबडझाले को सुलझाने वाले भी तो यहीं है , पर क्यों उनकी आवाज दबी सी है :=
सुना होगा अमित जी आपने,
"झूठ वाले कहीं के कहीं बढ़ गये,
एक मैं था कि सच बोलता रह गया"
सच है ये, झूठ वाले अपना झूठ भी इतनी सफ़ाई से बोल जाते हैं कि सच दबा ढंका रह जाता है।
तो क्या सच बोलना बंद कर दिया जाये?
अमित जी अमित जी किस चक्की का आटा खा रहे हो॥
जवाब देंहटाएंदिन दुनी रात चोगुनी प्रसिद्धि पाते जा रहे हो,
जरा हमें भी बताओ इस गर्मी में कैसे उबला ये शबाब
कहीं एक्स इफ्फेक्ट तो नहीं लगाया था जनाब।
(मेरी तुकबंदी का मतलब ना तलाशे ये तो मुझे खुद भी नहीं पता)
.
जवाब देंहटाएंस्वर्ग नर्क का बोया घोटाला
या फिर यह नया गड़बड़झाला
हम ही कर्ता थे इसके
हम ही भर्ता हैं इसके
गोलमाल है सब गोलमाल है ------ कुछ वोटो के लिए नेताओ की चाल है --------गोलमाल है सब गोलमाल है !!
जवाब देंहटाएंइस निर्मम दुनिया में कहने को कोई नहीं छोड़ता ! बढ़िया भाव व्यक्त किये हैं अपना सा दर्द महसूस हुआ !
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंbahut badhiya...
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने
जवाब देंहटाएंभैया बिलकुल सही कहा आपने....
जवाब देंहटाएंDear Sir / Madam,
जवाब देंहटाएंGreetings from Bharatiya Opinion Hindi Magazine, Karnataka.
It is a pleasure for us to say that your blog has been featured as a reference
in a write-up in the latest issue of our Magazine,
You can read the Magazine online here --->>http://bharatiyaopinion.com
Your Blog is featured on the page 48.
We would like to send you a copy of the magazine if you could send
us the your postal details. Our mail id is
editorbo@gmail.com
With Regards,
Kamal Parashar
Relations Manager.
9945488001.
bahut khoob amit g
जवाब देंहटाएंमहान पोस्ट
जवाब देंहटाएंकृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारें और मुझे कृतार्थ करें
इस्लाम का नजारा देखें
dear sir your vichaar kaafee had tak sahee hai or aapkee maa bhee sahee kahtee hai aman kaa paath hame maa se hee miltaa hai or ek kore ghade of koi galt rai kyo dega?
जवाब देंहटाएंlakin kuchh hai hamare aas paas jo nafrat bant raha hai. kisee shayar kee lain hai " sadiyo ne khataa kee thee or lamho ne sazaa pai" yannee kuchh log saraarat karte hai or nasle aane walee iska kast utharahee hai or uthayngee? aaj ham har rishte mai kyaa khoj rahee sirf matlav kyo? kyo ki yeh matalab kee khaatir kuchh bhee karne par aamadaa hai yeh samaaj kanun iske apne hai suvidha ke hissav se niyaay ho rahaa or hamare apne rajnetic log apne ushul kho rahe hai. bariyaa hai poem ya kahe looree. badhai ho.?
अमित भाई अपने ब्लॉग का पता बदल गया है आप की पोस्ट यहाँ पे मौजूद है. हो सके तो ब्लॉग follow केर लें
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