सोमवार, 3 मई 2010

पता नहीं क्या क्या कह जाते है लोग

पता नहीं क्या क्या  कह जाते है लोग
पता नहीं किस रौ में बह जाते है लोग
 
कोई आंखन देखी ना कोई कानन सुनी
ज्यादा बहुत देखा देखी ही कहते है लोग

मनचीती रबरबी,मनचाहा कहते है लोग
एक कहे तोड़ो बुतों को,कोई मस्जिद को
 
कहता कोई असल हमारा  इल्म है  देखो
कोई  कह जाते सब बकवास जला  फेंको

क्या सच में सिखलाता कोई रूहानी  ग्रन्थ
की यह अपना है और वोह पराये धर्म वाला
 
सोच "अमित" ,क्या यह ऐसे  ही  थे सच में
या फिर हमीं ने कर डाला सब गड़बड़झाला

 

26 टिप्‍पणियां:

  1. "सोच "अमित" ,क्या यह ऐसे ही थे सच में
    या फिर हमीं ने कर डाला सब गड़बड़झाला"

    बिलकुल सही बाट कही है आपने .
    वास्तव में यह गड़बड़झाला हमारा ही किया है, नहीं तो कोई धर्मग्रन्थ नफरत नहीं फैला सकता

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  2. "कोई आंखन देखी ना कोई कानन सुनी
    ज्यादा बहुत देखा देखी ही कहते है लोग"

    असल बात तो यही है जी बस!

    कुंवर जी,

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  3. या फिर हमीं ने कर डाला सब गड़बड़झाला

    sab hamara hi kiya dhara hai, aapki ek or behtrin abhivakti BADHAI HO !!!!

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  4. सोच "अमित" ,क्या यह ऐसे ही थे सच में
    या फिर हमीं ने कर डाला सब गड़बड़झाला
    ऐसे तो नहीं होंगे सच में .. हमने ही किया है गडबडझाला !!

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  5. बढ़िया है भई!! सब गड़बड़झाला..

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  6. गडबडझाले को सुलझाने वाले भी तो यहीं है , पर क्यों उनकी आवाज दबी सी है

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  7. पता नहीं क्या क्या कह जाते है लोग
    पता नहीं किस रौ में बह जाते है लोग

    sachmuch logon ko pata hi nahi ki use kya kahna chaye or kya kah jate h

    bahut khub

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  8. हमीं ने करा है जी गड़बड़झाला।


    @ गडबडझाले को सुलझाने वाले भी तो यहीं है , पर क्यों उनकी आवाज दबी सी है :=
    सुना होगा अमित जी आपने,
    "झूठ वाले कहीं के कहीं बढ़ गये,
    एक मैं था कि सच बोलता रह गया"
    सच है ये, झूठ वाले अपना झूठ भी इतनी सफ़ाई से बोल जाते हैं कि सच दबा ढंका रह जाता है।
    तो क्या सच बोलना बंद कर दिया जाये?

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  9. अमित जी अमित जी किस चक्की का आटा खा रहे हो॥
    दिन दुनी रात चोगुनी प्रसिद्धि पाते जा रहे हो,
    जरा हमें भी बताओ इस गर्मी में कैसे उबला ये शबाब
    कहीं एक्स इफ्फेक्ट तो नहीं लगाया था जनाब।
    (मेरी तुकबंदी का मतलब ना तलाशे ये तो मुझे खुद भी नहीं पता)

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  10. .
    स्वर्ग नर्क का बोया घोटाला
    या फिर यह नया गड़बड़झाला
    हम ही कर्ता थे इसके
    हम ही भर्ता हैं इसके

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  11. गोलमाल है सब गोलमाल है ------ कुछ वोटो के लिए नेताओ की चाल है --------गोलमाल है सब गोलमाल है !!

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  12. इस निर्मम दुनिया में कहने को कोई नहीं छोड़ता ! बढ़िया भाव व्यक्त किये हैं अपना सा दर्द महसूस हुआ !

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  13. भैया बिलकुल सही कहा आपने....

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  14. Dear Sir / Madam,
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  15. महान पोस्ट
    कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारें और मुझे कृतार्थ करें

    इस्लाम का नजारा देखें

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  16. dear sir your vichaar kaafee had tak sahee hai or aapkee maa bhee sahee kahtee hai aman kaa paath hame maa se hee miltaa hai or ek kore ghade of koi galt rai kyo dega?
    lakin kuchh hai hamare aas paas jo nafrat bant raha hai. kisee shayar kee lain hai " sadiyo ne khataa kee thee or lamho ne sazaa pai" yannee kuchh log saraarat karte hai or nasle aane walee iska kast utharahee hai or uthayngee? aaj ham har rishte mai kyaa khoj rahee sirf matlav kyo? kyo ki yeh matalab kee khaatir kuchh bhee karne par aamadaa hai yeh samaaj kanun iske apne hai suvidha ke hissav se niyaay ho rahaa or hamare apne rajnetic log apne ushul kho rahe hai. bariyaa hai poem ya kahe looree. badhai ho.?

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  17. अमित भाई अपने ब्लॉग का पता बदल गया है आप की पोस्ट यहाँ पे मौजूद है. हो सके तो ब्लॉग follow केर लें

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जब आपके विचार जानने के लिए टिपण्णी बॉक्स रखा है, तो मैं कौन होता हूँ आपको रोकने और आपके लिखे को मिटाने वाला !!!!! ................ खूब जी भर कर पोस्टों से सहमती,असहमति टिपियायिये :)