अजी नहीं साहब ये कोई पानी का झरना नहीं है,और ना ही पिघले सोने का झरना यह तो उस रेत का झरना है जिस रेत के कारण यह धरती स्वर्ण-भूमि कहलाती है !!!!!!!!!!!!!
क्या चौंक गए!!!!!!!!
बिलकुल भरोसा नहीं हुआ. पर यह सच है ! रेतीले धोरों के लिए दुनिया भर में मशहूर राजस्थान के बाड़मेर जिले में लू के थपेड़ो के साथ टीलों से बहती रेत इन दिनों कुछ ऐसा ही नजारा दिखा रही है.
ये तस्वीर आज राजस्थान पत्रिका में छपी थी. जिसे पत्रिका के फोटो जर्नलिस्ट ओम माली ने अपने कैमरे में कैद किया .
आश्चर्यजनक !
जवाब देंहटाएंप्रकृति के कलाकारिता का भी जबाब नहीं !!
जवाब देंहटाएंक्या बात है !!!! मुट्ठी से फिसलती रेत तो सुना था पर यों पहाड़ो से बहती रेत के दर्शन आज हुए।
जवाब देंहटाएंप्रकृति का एक और अद्भुत नजारा।
अद्भुत !
जवाब देंहटाएंअजब गजब खेल कुदरत के!
जवाब देंहटाएंवाकई रेत सचमुच मे जलप्रपात का भ्रम पैदा कर रही है....
जवाब देंहटाएंवाकई अद्भुत!!
जवाब देंहटाएंअद्भुत नज़ारे से भरी पड़ी है प्रकृति
जवाब देंहटाएंkya amit ji yhan bhi bazi maar legaye
जवाब देंहटाएंmaine isko apni pahli post banane ka irada kiya tha or scan bhi krwa liya tha par mera pendriv kharab ho gya or aap le ude, khair is adbhut najare ko dikhlane ke liye dhanyawad
सुन्दर और अद्भुत
जवाब देंहटाएंसचमुच मे जलप्रपात का भ्रम पैदा कर रही है....आश्चर्यजनक !अद्भुत'प्रकृति के कलाकारिता का भी जबाब नहीं !than;s god >""""""""
जवाब देंहटाएंजी! कल ही देखा था इसे अखबार में.. वैसे अपनी आँखों से भी देख चुके है..
जवाब देंहटाएंअच्छा लेख
जवाब देंहटाएंअमित जी,
जवाब देंहटाएंमान्यवर प्रवीण जी ने धर्म से सम्बंधित कुछ प्रश्न किये हैं, ईश्वर ने चाह तो मैं तो उन्हें अवश्य ही इस्लाम से सम्बंधित प्रश्नों के उत्तर देने का पूरा प्रयास करूँगा. अगर हो सकते तो आप वैदिक धर्म के अनुरूप उनके संशयों का निवारण करने की कोशिश करें.
धन्यवाद!
लेख का पता है:
http://shnawaz.blogspot.com/2010/04/blog-post_22.html
Amit ji Namashkar. Yehi to Nature hai.
जवाब देंहटाएंअद्भुत्!
जवाब देंहटाएंविचित्र है यह प्रकृति!
आप सभी का धन्यवाद्
जवाब देंहटाएंthanks all comments om mali rajasthan patrika
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