मंगलवार, 13 अप्रैल 2010

मेरे विचारों पे श्रीमोहम्मदसाहब ने मोहर लगायी

आज रात को मुझे गजब का सपना आया. वैसे तो सपने मुझे कभी कभी ही आते है, और जो आते है उन्हें मैं भूल जाता हूँ . पर यह सपना अभी तक भी स्मृति पटल पे बिलकुल ताजा बना हुआ है. और हो भी क्यों नहीं सपना ही ऐसा था . रात को जब गहरी नींद में था तो क्या देखता हूँ की एक महान विभूति बिलकुल चाँद की मानिंद उज्जवल वस्त्र पहिने,पूर्णिमा के चन्द्रमा की भांति चमकदार चेहरा,विशेष गरिमामय व्यक्तित्व लिए  मेरे सामने प्रकट हुए. मैं उन्हें पहचान नहीं पाया पर उनके गरिमामय व्यक्तित्व से सम्मोहित हुआ, उन्हें  परमेश्वर का अंश जानकर उनके सामने दंडवत हो गया.  मैंने विस्मित  होते हुए पूछा की आप कौन  है और किस प्रकार कृपा कर मुझे दर्शन दिए है .उन्होंने मुझे उठाया और कहा की मै तेरी सोच पे अपनी मोहर लगाने आया हूँ . मैंने कहा की मै कुछ समझ नहीं पा रहा हूँ. तब उन्होंने निर्मल मुस्कराहट  के साथ मुझसे कहा की "मैं उस परवरदिगार का रसूल हजरत मुहम्मद हूँ , और कुरआन को लेकर तेरे मन में जो  विचार उत्पन्न हुए है उन पर अपनी मुहर लगता हूँ ". इतना कहते ही वह  दिव्य स्वरुप अन्तर्निहित हो गया और मेरी नींद खुल गयी .
अब आप जानना चाहते  होंगे की श्रीमोहम्मद साहब ने मेरे कुरआन विषयक किन विचारों पे अपनी मोहर लगायी थी. (चाहे सपने में ही लगायी हो,और सपने दिनभर के विचारों की परिणिति ही क्यों ना हो)
तो बंधुओ गौर से पढिये मेरे कुरआन विषयक विचार और सोचकर  मुझे बताइए की क्या यह भी हो सकता है ?,या यही हुआ है ? ---
मुझे शक है की वर्तमान में जिस किताब को पवित्र कुरआन कहा जाता है, वही असल कुरान है, जिसे परमेश्वर ने श्रीमोहम्मद साहब पे नाजिल किया था. क्योंकि श्रीमोहम्मद साहब की जीवनी पढते हुए उल्लेख मिलता है की श्रीमोहम्मद साहब के जनाजे में  काफी कम लोग शामिल हुए थे. क्योंकि  उनके अनुयायी खलीफा पद की लड़ाई में उलझ गए थे. अब बताइए की जो अनुयायी आज तक उनके ऊपर शांति होने की प्रार्थना करते है, वो उनकी पार्थिव देह को भी शांति से नहीं सुपुर्दे-खाक ना कर सके. तो जो लोग अपने मसीहा की लाश को भी उचित  सम्मान नहीं दे पाए और सत्ता के लिए लड़ने लगे हों,क्या उन्होंने सत्ता के लिए श्रीमोहम्मद साहब की शिक्षाओं की की हत्या करके कुरआन में सत्ता प्राप्ति की सहायक आयतों का समावेश नहीं किया होगा.
श्रीमोहम्मद साहब ने तत्कालीन अरब में फैली बर्बर कबीलाई परम्पराओं को तोड़ते हुए शुद्ध वैदिक धर्म की महिमा का पुनर्स्थापन किया था. जिसे उनके अनुयायियों ने अपनी वासनाओं,और हैवानियत  की राह  में रोड़ा मानते हुए, पवित्र कुरआन में बर्बर और अनर्गल आयातों का समावेश कर दिया, जिससे की उन्हें खलीफा पद के रूप में कौम की बादशाहत, और लुटेरों के रूप में दुनिया की बेशुमार दौलत प्राप्त हो सकें.
तो यह है पवित्र कुरआन को लेकर मेरी चिंता और मेरे सपने में पधार कर श्रीमोहम्मद साहब द्वारा इसकी पुष्टि करने का हाल. अब आप लोग भी मुझे अपने अपने विचारों से शीघ्र अवगत करवाइए.

10 टिप्‍पणियां:

  1. अमित भाई साहब ये आपने क्या सपना देख लिया!चलो देख भी लिया कोई बात नहीं!इसे ऐसे सार्वजनिक करने से पहले पहले किसी मौलवी-मुल्ला से सलाह मशविरा तो किया होता!अरे जिसका कोई प्रतिरूप,मूर्ति,या कुछ भी जो आकृति में कैद होता हो,नहीं हो;उसे आप सपने में देख रहे हो!और ना सिर्फ देख रहे हो,उस से अपनी बात भी मनवा रहे हो!भाई माना सपना आपका है,पर "श्री मोहम्मद जी महाराज"!



    कुंवर जी,

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  2. अमित जी ! आप अपनी बहन को भगिनी क्यूँ कहते हो ? क्या भग के अलावा कोई और चीज़ आपको औरत में दिखाई नहीं देती ?

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  3. ओहो स्वागत है जमाल साहब !
    वैसे आपके इस सवाल का ज़वाब मैंने आपको आपके घर पे दे दिया था.
    पर जब आप पहली बार यह आये है तो फिर से ज़वाब दान किये देता हूँ -
    संस्कृत का भगः शब्द भज् धातु से बना है. जिससे बना है ईश्वर, सर्वशक्तिमान, दाता, प्रभु , सबको सबका हिस्सा देने वाला, सबका हिस्सा यानी भाग, अंश, आयु और प्रकारांतर से सबका भाग्यविधाता आदि के अर्थों वाला शब्द भगवान । भग शब्द के कई अर्थ हैं जिनमें एक वैदिक देवता, सूर्य, चंद्र और शिव भी हैं। भग का अर्थ होता है ऐश्वर्य, सम्पन्नता , सम्पत्ति, भाग्य आदि। ऐश्वर्य सौन्दर्य और लावण्य का भी हो सकता है।

    "नानार्थक कोश" के अनुसार सौभाग्यवती स्त्री के लिए भगिनी शब्द का प्रयोग होता है।

    भगिनी शब्द भगिन् शब्द से बना है। भगिन् शब्द का अर्थ फलना और फूलना है। सौभाग्यवती स्त्री से ही परिवार फलता-फूलता है। इसलिए भगिनी शब्द का अर्थ भाग्यवती, सौभाग्यवती होना एकदम सुसंगत है। वैभवशाली, भाग्यशाली और अपनी आन-बान और शान रखने वाली महिला के अर्थ में भी भगिनी शब्द का प्रयोग होता है। प्राचीन भारत में बहन के जन्म को सौभाग्य की निशानी समझा जाता था। इसलिए बहन को भगिनी कहा गया है।

    लेकिन जिनकी बुद्धि,दृष्टि, २४ घंटे टट्टी पेशाब की नालियों में ही रमें रहते हो, वह कैसे इतने गहन अर्थों को समझ पायेंगे.

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  4. बड़े भाई - साहब जय श्री राधे-राधे

    भाई साहब हमें बजरंगदल वालों की धमकी दे गए हैं और आपने भी इनके बारे में लिख दिया कहीं फतवा न जारी कर दें !

    प्रभु सभी को सद्बुद्धि दें !! सभी का कल्याण हो !!

    आपके लेखन को सत-सत प्रणाम (आपके निर्देश की अनुपालाना का पूरा प्रयास करूंगा)

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  5. DR. ANWER JAMAL said...



    गुरुजी चलिए आप घर से निकलने तो लगे धीरे-धीरे !!

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  6. भैया कुंवरजी ,
    इस्लाम में सिर्फ अल्लहा को निराकार बतलाया गया है,सपने में तो श्रीमोहम्मद साहब आये थे. ये तो मेरे और श्रीमोहम्मद साहब के बीच की बात है, इसमें मुल्ला-मोलवियों को क्यों दलाली खाने का मौका दूँ. अपना साथ इसी तरह बनाये रखिये,जिससे मन का विश्वास बना रहे .

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  7. भैया मेरा देश मेरा धर्म जी ,
    बजरंगदल वालों को ग़लतफ़हमी हो गयी है की आप श्रीहनुमत लालजी के बारे में कुछ उल्टा-सीधा कह रहें है. इसका कारण मैंने आपको बताया ही था की,शब्दों को थोडा खुला छोड़ते हुए अपनी बात कहें, जल्दबाजी में अर्थ-का अनर्थ हो रहा है.
    और सबसे बड़ा भ्रम जमाल साहब को आपके "गुरूजी" वाले संबोधन से भी होता है . अच्छी बात है बड़े तो गुरु सामान ही होते है. उन्हें गुरु कहने में कोई बुराई नहीं है. पर आपकी एक सार्वजानिक छवि बन चुकी है,इसलिए ऐसे संबोधन गले की फांस भी बन जाते है.बाकी आप समझदार है.

    जय श्री राधे-राधे !!!

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  8. अमित जी आपने न केवल तथ्यात्मक स्वप्न देखा बल्कि हकीकत में हज़रात मोहम्मद की असलियत को सामने ले आये. लेकिन मियाँ साहब अपने मंसूबों को यूं छोड़ने से रहे. आप अपनी कलम तैयार रखें. सुभकामना. आपकी हाजिरजवाबी लाजवाब.

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  9. इस्लाम के शिया गुट के अनुसार मोहम्मद साहब अपना उत्तराधिकारी हज़रत अली को घोषित कर गए थे. लेकिन उनकी मृत्य के बाद हज़रत अली तो मोहम्मद साहब के कफ़न दफ़न में लगे रहे और कुछ कुटिल व प्रभावशाली लोगों ने आपस में मीटिंग करके अबूबक्र को खलीफा बना लिया ताकि इस्लाम की सत्ता उनके हाथ में आ जाए और वे अपनी मनमानी कर सकें. शियों के अनुसार इस्लामी आतंकवाद ऐसे ही लोगों की देन है.

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  10. भज् धातु से बना है संस्कृत का भगः शब्द जिससे बना है ईश्वर, सर्वशक्तिमान, दाता, प्रभु , सबको सबका हिस्सा देने वाला, सबका हिस्सा यानी भाग, अंश, आयु और प्रकारांतर से सबका भाग्यविधाता आदि के अर्थों वाला शब्द भगवान । भग शब्द के कई अर्थ हैं जिनमें एक वैदिक देवता, सूर्य, चंद्र और शिव भी हैं।

    जमाल साहब को दिए उत्तर में आपने शब्दों का सफ़र से उक्त अंश जस का तस दिया है अमित। अच्छा होता, अगर संदर्भ भी दे देते तो कुछ लोग उक्त पोस्ट http://shabdavali.blogspot.com/2008/09/2.html पर भी पहुंचते और भगवान शृंखला के अन्य आलेख भी पढ़ पाते।

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जब आपके विचार जानने के लिए टिपण्णी बॉक्स रखा है, तो मैं कौन होता हूँ आपको रोकने और आपके लिखे को मिटाने वाला !!!!! ................ खूब जी भर कर पोस्टों से सहमती,असहमति टिपियायिये :)